
Navratri 2025: मां बमलेश्वरी देवी: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में मां बमलेश्वरी देवी का मंदिर है। यह मंदिर प्रसिद्ध शक्ति पीठों में से एक है। इसका इतिहास लगभग 2000 वर्ष पुराना है। इस मंदिर को धार्मिक स्थल के अलावा ऐतिहासिक धरोहर भी माना जाता है।

Navratri 2025: मां चंद्रहासिनी का मंदिर जांजगीर चांपा जिले के चंद्रपुर में स्थित है। चंद्रमा के आकार के कारण माता को चंद्रहासिनी और चंद्रसेनी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि देवी ने सरगुजा क्षेत्र को छोड़कर रायगढ़ और उदयपुर होते हुए चंद्रपुर के महानदी तट पर यात्रा की थी।

Navratri 2025: रतनपुर देवी महामाया को समर्पित शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। राजा रत्नदेव प्रथम ने 11वीं शताब्दी में रतनपुर का नामकरण किया और इसे अपनी राजधानी बनाया।

Navratri 2025: गरियाबंद जिले में जतमाई मंदिर स्थित है। मंदिर का निर्माण 20वीं शताब्दी में स्थानीय ग्रामीणों ने मिलकर किया था। मंदिर के पास बहने वाली जलधाराएं माता की सेविकाएं मानी जाती हैं।

Navratri 2025: महासमुंद से 24 किलोमीटर दूर भीमखोज में स्थित मां खल्लारी का मंदिर ऊंची पहाडिय़ों पर स्थित है। मान्यता के अनुसार चौथी शताब्दी में यह मंदिर बना। यहीं महाभारत काल के समय महाबली भीम और राक्षसी हिडिंबा का विवाह हुआ था।

Navratri 2025: दंतेवाड़ा में स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर 52 शक्ति पीठों में से एक प्रमुख शक्ति पीठ है। यह मंदिर डंकिनी और शकिनी नदियों के संगम पर स्थित है, और यहां की मान्यता अनुसार माता सती का दांत गिरा था।

Navratri 2025: कुदरगढ़ी धाम, जो सूरजपुर जिले के ओडगी विकासखंड में स्थित है। यहां माता बागेश्वरी का मंदिर स्थित है. यह मंदिर लगभग 1500 फीट ऊंचे पहाड़ पर वट वृक्ष के नीचे स्थापित है। मान्यताओं के अनुसार, मां भगवती ने राक्षसों का संहार किया था और यह स्थान उनकी तपस्थली रही है।