
Naxalite couple in Raipur (Photo source- Patrika)
Naxalite couple in Raipur: राजधानी में हार्डकोर नक्सली रमेश उर्फ जग्गू कुरसम उर्फ रवि और उसकी पत्नी कमला कुरसम के पकड़े जाने के बाद खुफिया तंत्र और किराएदारों के मॉनीटरिंग सिस्टम को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। शहर में किराएदारों का सत्यापन (वेरिफिकेशन) का कोई सिस्टम नहीं बन पाया है। पुलिस ने मकान मालिकों को किराएदारों की जानकारी देने का निर्देश दिया है, लेकिन इसका पालन अधिकांश लोग नहीं कर रहे हैं।
इसी का फायदा उठाते हुए कई नक्सली और विदेशी नागरिकों के भी यहां अवैध रूप से रहने की आशंका है। उल्लेखनीय है कि नक्सली दंपती करीब 2 माह से चंगोराभाठा चौक में हेमंत देवांगन के मकान में किराएदार के रूप में रह रहे थे। सूत्रों के मुताबिक साधारण मजदूर के रूप में रहते थे। बेखौफ होकर घूमना-फिरना करते थे। आसपास की दुकानों के अलावा शहर के अन्य स्थानों में भी आना जाना करते थे।
नक्सली दंपती रमेश और उसकी पत्नी की गिरफ्तारी के बाद चंगोराभाठा बाजार चौक में सनसनी फैल गई है। रमेश अक्सर आसपास की कई दुकानों में खरीदारी करने जाता था। त्रुटिवश एक फोटो में रमेश की पोल्ट्री दुकान प्रकाशित हो गई। मन पोल्ट्री दुकान का घटना से कोई संबंध नहीं है। दुकान नक्सली रमेश की नहीं है।
नक्सलियों से पहले कई विदेशी नागरिक भी किराएदार के तौर पर निवास करते मिले हैं। इसके अलावा बाहर के अपराधी भी यहां फरारी काटते मिल चुके हैं। करीब तीन साल पहले पुलिस ने किराएदारों के वेरिफिकेशन के लिए अभियान शुरू किया था। उस दौरान सभी थानेदार अपने-अपने क्षेत्र के किराएदारों की जांच करा रहे थे। कुछ दिनों बाद यह अभियान भी बंद हो गया। कुछ माह पहले रायपुर पुलिस ने किराएदारों के लिए ऑनलाइन सिस्टम बनाने की तैयारी शुरू की थी, लेकिन अब तक यह सिस्टम बन नहीं पाया है। इस कारण पुलिस के पास शहर के किराएदारों का डेटा नहीं है।
Naxalite couple in Raipur: सूत्रों के मुताबिक रमेश और उसकी पत्नी शहर की हर बड़ी गतिविधियों की जानकारी जुटाते थे। राजनीतिक घटनाक्रम, वीआईपी मूवमेंट, धरना-प्रदर्शन, बड़े कार्यक्रम आदि की जानकारी लेते थे। ये जानकारियां बड़े नक्सली नेताओं तक पहुंचाते थे। वीआईपी मूवमेंट की जानकारी भी बड़े नक्सली नेताओं को पहुंचाते थे। एसआईए की टीम पूरे मामले की जांच कर रही है। कई जगह के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं।
शहर में अलग-अलग इलाकों में 2 लाख से ज्यादा किराएदार रहते हैं। इनमें दूसरे राज्य के लोग भी हैं। इनमें मजदूर, नौकरीपेशा, स्टूडेंट्स के अलावा अन्य लोग भी हैं। इंडस्ट्रियल इलाके में हजारों लोग अलग-अलग राज्यों से आकर रहते हैं। बस्तर के ग्रामीण भी बड़ी संख्या में कई जगह किराएदार के रूप में रहते हैं। थानों की टीम किराएदारों की जांच नहीं करती है। साथ ही पुलिस के पास किराएदारों का डेटा भी नहीं है।
Updated on:
28 Sept 2025 10:01 am
Published on:
28 Sept 2025 10:00 am
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