- पतली नसों की समस्या वाले लोगों को जिंदगीभर लेनी पड़ती है दवा.
रायपुर. ठंड में नसों के ब्लॉकेज की समस्या बढ़ गई है। ऐसे में डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में हाथ-पैर के नसों की सर्जरी एकाएक बढ़ गई है। इसके कारण हफ्ते में 15 से 20 सर्जरी हो रही है, जबकि पहले यह सिर्फ 3 या 4 होते थे। अस्पताल के हार्ट, चेस्ट और वेस्कुलर सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. केके साहू ने बताया कि ठंड में नसों के ब्लॉकेज की समस्या पांच गुना तक बढ़ जाते हैं।
वर्तमान में एसीआई में हफ्ते में रोजाना हाथ-पैर के नसों के ब्लॉकेज हटाने के लिए करीब 15 सर्जरी की जा रही है। एसीआई में सर्वाधिक नसों के ब्लॉकेज को लेकर सर्जरी की जाती है। इसके मरीज इधर-उधर दिखाने के बजाय सीधे यहीं पहुंचते हैं। मोटी नसों की सर्जरी हो जाती है, लेेकिन हाथ-पैर में होने वाली पतली नसों की सर्जरी करनी मुश्किल होती है। इसके कारण ऐसे लोगों को जीवनभर दवाइयां खानी पड़ती है।
कोविड के बाद से नसाें के ब्लॉकेज की बढ़ी समस्या
कोविड के बाद से नसों के ब्लॉकेज की समस्या ज्यादा बढ़ गई है। विशेषज्ञों के अनुसार कोविड के बाद से लोगों में खून गाढ़ा हो गया है। वहीं सर्दिंयों में नसें ब्लॉक हो जाती है। इन दोनों कारणों से हार्ट को ज्यादा मेहनत करना पड़ता है, जो हार्ट अटैक का भी कारण बनता है। जो लोग नशे या अन्य बीमारियों से दूर हैं, उनमें भी ब्लॉकेज की समस्या होने लगती है। यही कारण है कि 20-25 साल के कई युवा बिना नशे या अन्य बीमारियों के ब्लॉकेज की समस्या से ग्रसित हो रहे हैं। ऐसे लोगों का जेनेटिक टेस्ट भी कराया जा रहा है।
पूरी तरह से नस बंद हो जाने से काला पड़ने लगता है पैर
डॉ. साहू ने बताया कि ब्लॉकेज की शुरुआत में खून की नस की रुकावट कम होती है, तो पैरों में खून का संचार सामान्य से कम हो जाता है। ऐसी स्थिति में मरीज को थोड़ा दूर चलने के बाद पैरों में खासकर पिंडलियों में दर्द शुरू हो जाता है, जिसको क्लाडिकेशन कहा जाता है। जैसे-जैसे नसों में ब्लॉक बढ़ते जाते हैं तो मरीज के पैरों में लगातार दर्द बना रहता है, जिसको रेस्ट पेन कहा जाता है। नस पूरी तरह बंद होने पर पैर काला होकर सड़ना शुरू हो जाता है। पहले इस बीमारी का एक ही इलाज होता था जिसमें पैर को काट दिया जाता था। परंतु अब बहुत सारी नई तकनीक आ जाने से नसों में रूकावट की स्थिति जान ली जाती है। इसे सर्जरी से ठीक कर लिया जाता है।
धूम्रपान व अनियंत्रित डायबिटिज मुख्य कारण
नसों में ब्लॉक होने का मुख्य कारण धूम्रपान, तंबाकू, अनियंत्रित डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल व वैस्कुलाइटिस है। यह ठीक उसी तरह होता है, जिस प्रकार हार्ट के नसों में रूकावट होता है जिसको कोरोनरी आर्टरी डिजीस कहते हैं।
ठंड में नसें सिकुड़ जाती हैं, इससे ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है। इसके कारण नसे सिकुड़ने लगती है। पहले से जिनकी नसें ब्लॉक हैं, अगर उनका हार्ट ज्यादा काम करने लगता है तो हार्ट अटैक का भी खतरा रहता है। इसके अलावा ठंड में खून गाड़ा भी हो जाता है। कोविड के बाद से खून गाड़ा होने के मामले भी बढ़े हैं।
- डॉ. केके साहू, विभागाध्यक्ष हार्ट, चेस्ट और वेस्कुलर सर्जरी