
अब बिजली गिरने के 45 मिनट पहले ही आपको पता होगा कब और कहां गिरेगी बिजली, इन जिलों में लगेंगे सिस्टम
जितेंद्र दहिया@रायपुर. आकाशीय बिजली के कोप से किसानों की जान बचाने के लिए आपदा प्रबंधन और मौसम विभाग मिलकर अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाएगा। यह प्रदेश के चार जिलों अंबिकापुर, रायपुर, जगदलपुर और राजनांदगांव में लगाया जाएगा।
विभाग द्वारा जो सेंसर लगाया जाएगा, वह 300 किलोमीटर के दायरे में आकाशीय बिजली और उसकी तीव्रता का अध्ययन करेगा। इस सिस्टम के जरिए 45 मिनट पहले ही बिजली गिरने के स्थान का पता लग जाएगा। इसके लिए टोटल लाइटनिंग बेस्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित करने पर आपदा प्रबंधन विभाग विचार कर रहा है।
कई राज्यों में पहले से ही स्थापित : लाइटनिंग डिटेक्शन सिस्टम एंड प्रॉपर अलर्ट सिस्टम का लाभ ओडिशा, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और बिहार को मिल रहा है। इस सिस्टम के जरिए प्रभावित इलाकों में पहले ही अलर्ट जारी करके जानमाल को खतरे से बचाया जाता है। सूचना के लिए मोबाइल का बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है।
बिजली गिरने से प्रदेश हर साल करीब 300 लोगों की मौत हो जाती है। इसके अलावा क्षति भी पहुंचती है। अन्य राज्यों के मुकाबले छत्तीसगढ़ में बिजली गिरने के मामले ज्यादा हैं। वर्ष 2016-17में 265 लोगों की बिजली गिरने से मौत हो गयी थी। यह पिछले साल के मुकाबले 15 प्रतिशत ज्यादा है।
आस-पास के भौगोलिक परिवेश में ऐसा क्या है जो, बिजली गिरने की घटना को ज्यादा बढ़ाता है?
आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव एनके खाखा ने कहा कि इस संबंध में योजना बनाई जा रही है। प्रदेश के चार जिलों को चिन्हित किया गया है। राज्य के पहाड़ी इलाकों में हो रही लाइटनिंग की घटनाओं में होने वाली मौतों को देखते हुए यह विचार किया जा रहा है।
नारियल के पेड़ भी बिजली के अच्छे संवाहक हैं।
एनसीआरबी के अनुसार, भारत में हर साल 2,182 लोग आकाशीय बिजली गिरने के शिकार हो जाते हैं। 2016 में 120, 2014 में भारत में बिजली गिरने से 2,582 जबकि 2013 में 2,833 लोग मारे गए थे। आकाशीय बिजली से होने वाली मौत के मामले में मध्य प्रदेश पहले नंबर पर है। इसके बाद महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा का स्थान आता है। प्रदेश में 2013में 306, 2014 में 260, 2014 में 229 और 2016 में 265 मौतें हुई हैं।
Published on:
07 Aug 2018 10:06 am
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