19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

फंड पूरा, काम अधूरा… सात साल में अंडरग्राउंड ड्रेनेज, बिजली, 24 घंटे पानी और एसटीपी नहीं

CG Raipur News : रायपुर में स्मार्ट सिटी मिशन 2016 में शुरू हुआ।

4 min read
Google source verification
फंड पूरा, काम अधूरा... सात साल में अंडरग्राउंड ड्रेनेज, बिजली, 24 घंटे पानी और एसटीपी नहीं

फंड पूरा, काम अधूरा... सात साल में अंडरग्राउंड ड्रेनेज, बिजली, 24 घंटे पानी और एसटीपी नहीं

CG Raipur News : रायपुर में स्मार्ट सिटी मिशन 2016 में शुरू हुआ। केंद्र सरकार ने जब ये योजना लॉन्च की तो अफसरों ने बड़े-बड़े वादे किए। इन वादों में रायपुर को सपनों का शहर बनाने की बातें थी। इन 7 सालों में पब्लिक यूटिलिटी के सेक्टर में ऐसा कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है जो रायपुर को स्मार्ट सिटी बना सके। हां, रंगाई-पुताई जैसे अस्थाई कामों पर खूब पैसे खर्च किए गए। इनमें से ज्यादातर काम टिकाऊ नहीं है। नतीजतन घटिया निर्माण की परतें उखड़ने लगी हैं।

जून तक पूरे होने थे काम, बढ़ी मियाद

बता दें कि 2023 की शुरुआत में केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर स्मार्ट सिटी रायपुर और राज्य सरकार को हिदायत दी थी कि सारे काम जून तक पूरे कर लिए जाएं। शुरुआती महीनों में अफसरों ने काम में तेजी दिखाई। लेकिन, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट एक बार कछुआ गति से चलने लगा। यही वजह रही कि डेडलाइन पूरी होने के बाद भी रायपुर को स्मार्ट बनाने वाले मूलभूत काम अधूरे रहे। केंद्र की चेतावनी के मुताबिक शुरू हो चुके कामों के लिए जो फंड जारी हो चुका है, वह लैप्स हो जाएगा। मतलब अधूरे निर्माण को पूरा कराने की जिम्मेदारी सीधे नगर निगम पर आ जाती। ऐसे में राज्य ने मांग उठाई कि अधूरे कामों को पूरा करने के लिए समय दिया जाए। केंद्र ने रियायत देते हुए स्मार्ट सिटी मिशन की मियाद 1 साल और बढ़ा दी है। यानी रायपुर में स्मार्ट सिटी के कामों को पूरा करने के लिए अब जून 2024 तक का समय है। अब जानिए पब्लिक यूटिलिटी से जुड़े वो काम जिन्हें अब तक पूरा हो जाना था।

स्मार्ट सिटी के अधूरे सभी प्रोजेक्ट्स को काफी तेज गति से पूरा किया जा रहा है। काम की गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सभी काम निर्धारित समयावधि में पूरे कर लिए जाएंगे।

-आशीष मिश्रा, महाप्रबंधक जनसंपर्क, स्मार्ट सिटी रायपुर

महाराजबंध तालाब तक ड्रेनेज

मारवाड़ी श्मशानघाट के अगल-बगल की बस्तियां पुराने नाले की वजह से हर साल बारिश में डूब जाती हैं। इस वजह से लोगों को 4 महीने जलभराव का सामना करना पड़ता है। सैकड़ों परिवारों को राहत देने के उद्देश्य से स्मार्ट सिटी ने सालों पहले यहां अंडरग्राउंड ड्रेनेज की प्लानिंग की थी। इस प्लान को अमलीजामा पहनाते 2 साल लग गए। अब जाकर काम शुरू हुआ भी है तो 3 महीने से एक जगह पर आकर ठहर गया है। ड्रेनेज के नाम पर केवल गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया है। इसके चलते कैलाशपुरी ढाल से लेकर मारवाड़ी श्मशानघाट तक की सड़क वन-वे हो गई है। हर दिन लोगों को यहां जाम का सामना करना पड़ रहा है।

स्मार्ट रोड में अंडरग्राउंड केबलिंग

स्मार्ट सिटी ने शहर में 7 स्मार्ट सड़कें बनाने की प्लानिंग 7 साल पहले की थी। जैसे-तैसे 6 सड़कों का काम पूरा हुआ। लेकिन, महाराजबंध तालाब किनारे बनी शहर की पहली स्मार्ट सड़क अब तक अधूरी है। इन स्मार्ट सड़कों के ऊपर बिजली के तारों की स्मार्ट सिटी को अंडरग्राउंड केबलिंग करनी थी। लेकिन, 7 सालों में इस काम के लिए ठेका तक नहीं हुआ है। सबसे बुरा हाल कोतवाली से जयस्तंभ चौक, बूढ़ेश्वर मंदिर से लाखेनगर और आश्रम चौक तक का है। इन सड़कों के ऊपर बिजली का मकड़जाल देखने को मिल जाता है। बारिश के दिनों में ये खतरे का कारण बनते हैं।

तीन तालाबों में एसटीपी बनाना

शहर के तीन तालाब कारी, नरैया और महाराजबंध समेत स्मार्ट सिटी को 18 नालों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनवाना था। 18 में से महज कुछ नालों में ही एसटीपी बन पाया है। तालाबों का भी यही हाल है। जैसे तैसे महाराजबंध तालाब में एसटीपी बनाने का काम कुछ महीने पहले शुरू हुआ है। इसे पूरा होने में कितना समय लग जाएगा, फिलहाल कहा नहीं जा सकता। ऊपर से नालियों के गंदा पानी तालाब में छोड़ा जा रहा है। इससे ये तालाब गंदगी और बदबू से अट गया है। आलम ये है कि जहां कभी लोग सुबह से नहाने जाते थे, वहीं कोई अब इसके पानी को छूना भी पसंद नहीं करता।

6 वार्ड में 24 घंटे वाटर सप्लाई

स्माटर् वॉटर प्रोजेक्ट के तहत एबीडी एरिया के 16 वार्डों में 24 घंटे वॉटर सप्लाई की जानी है। स्काडा तकनीक पर आधारित वॉटर सप्लाई का ये मॉडल इतना आधुनिक है कि कहीं लीकेज हो तो हैड क्वार्टर को सिस्टम पर ही दिख जाएगा कि खामी कहां है? इसके अलावा पानी भी लोगों की उपयोगिता के आधार पर आएगा। लोगों को ये सुविधा तो नहीं मिली। उल्टे, पाइप लाइन बिछाने के लिए जहां सड़कें खोदी गई, वहां ढंग से पैचवर्क भी नहीं किया गया। बारिश में गड्ढ़े उभर आए हैं। शहर स्मार्ट सिटी के दिए इस दर्द को भुगतने को मजबूर है।