लैब में हुई आरटी-पीसीआर जांच में ये निगेटिव पाए गए। इससे लैब पर अनावश्यक बोझ तो बढ़ा ही, साधन-संसाधन का भी नुकसान होना शुरू हो गया। नई गाइड-लाइन के आधार पर तभी सैंपलिंग की जाएगी, जब व्यक्ति में लक्षण दिखाई दे या फिर क्लोज कांटेक्ट हो।
रायपुर. श्रमिकों की वापसी के बाद से कोरोना मरीजों का ग्राफ चढ़ता ही चला जा रहा है। मगर, इस दौरान अनावश्यक सैंपलिंग भी खूब हुई। जिस पर अब नई गाइड-लाइन जारी करते हुए रोक लगाने की कवायद की गई है। 'पत्रिका' को मिली जानकारी के मुताबिक जिन जिलों में संक्रमित मरीज मिले, उन जिलों ने मरीज के प्राइमरी कांटेक्ट वाले 50-50, 100-100 लोगों के सैंपल लेकर भेजे। लैब में हुई आरटी-पीसीआर जांच में ये निगेटिव पाए गए। इससे लैब पर अनावश्यक बोझ तो बढ़ा ही, साधन-संसाधन का भी नुकसान होना शुरू हो गया। नई गाइड-लाइन के आधार पर तभी सैंपलिंग की जाएगी, जब व्यक्ति में लक्षण दिखाई दे या फिर क्लोज कांटेक्ट हो।
स्वास्थ्य संचालनालय की तरफ से सभी जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएमएचओ) को नई गाइड-लाइन के साथ पत्र लिखा गया है। जिसमें कहां, किस स्तर पर गलतियां की जा रही हैं बताया गया है। स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि कोरोना संक्रमित मरीज के वास्तविक हाई रिस्क क्लोज प्राइमरी कांटेक्ट की सही ट्रेसिंग की जाए। गौरतलब है कि राज्य में तकरीबन 70 हजार सैंपल की जांच हो चुकी है, जिनमें अभी तक 500 से अधिक मरीज संक्रमित पाए गए हैं। इनमें प्राइमरी कांटेक्ट वालों की संख्या बेहद कम है।
'पत्रिका' सूत्रों के मुताबिक राज्य स्वास्थ्य विभाग को लैब की तरफ से यह सुझाव आया था कि बगैर लक्षण वालों के भी सैंपल भेजे जा रहे हैं। यहां यह भी बतां दें कि राज्य ने यह गाइड-लाइन इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के निर्देश पर तैयार की है।
गाइड-लाइन में किए गए ये प्रमुख बदलाव-
- संक्रमित मरीज के प्राइमरी कांटेक्ट की सूची से हाई रिस्क और लो रिस्क कांटेक्ट वालों को अलग-अलग करें।
- मजदूर जो समूहों में बाहर के राज्यों से आ रहे हैं, उन्हें फैसिलिटी क्वारंटाइन ही किया जाए। जिनमें लक्षण दिखाई दे रहे हैं उनके तत्काल सैंपल लिए लें। संक्रमित पाए जाने पर कांटेक्ट ट्रेसिंग की जाए। ध्यान रखें कि कांटेक्ट कितने दिनों से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया है। ५ दिन या कोरोना के लक्षण, जो भी पहले हो आने पर सैंपल लें।
- कांटेक्ट व्यक्ति का क्वारंटाइन संक्रमित व्यक्ति के पॉजिटिव आने के दिन से गिना जाए। पांचवे दिन सैंपल लिया जा सकता है।
- लो रिस्क कांटेक्ट वालों को होम क्वारंटाइन करें, नियमों का पालन करवाएं। अगर, इनमें लक्षण दिखाई दे तो ही सैंपल लिया जाए। यदि प्राइमरी कांटेक्ट में दो-तीन संक्रमित मरीज मिलते हैं तो फिर लो-रिस्क वाले का भी सैंपल लें।
- सेंकेडरी कांटेक्ट की ट्रेसिंग तभी की जाए जब प्राइमरी संक्रमित आए। सेंकेडरी कांटेक्ट के सैंपल लेने, क्वारंटाइन करने की आवश्यकता नहीं।
उन्हीं लोगों के सैंपलिंग के निर्देश जिलों को जारी किए गए हैं, जिनमें लक्षण दिख रहे हैं। ज्यादा सैंपल लेने की बजाए, सही व्यक्ति के सैंपल लेने की आवश्यकता है।
डॉ. धमेंद्र गहवईं, राज्य सर्विलेंस अधिकारी एवं प्रवक्ता, स्वास्थ्य विभाग