
रायपुर . आपने अब तक शिक्षकों-शिक्षिकाओं को ही स्कूलों में बच्चों को पढ़ाते हुए सुना होगा, लेकिन क्या आपने सुना है कि चपरासी बतौर शिक्षक बच्चों को स्कूल में शिक्षा दे रहे हैं। यहीन नहीं हो रहा है ना, लेकिन ये सच है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ऐसा ही एक स्कूल है, जिसमें चपरासी और क्लास के बच्चे ही अपने सहपाठियों को पढ़ाते नजर आते हैं। यह नजारा किसी दूरस्थ इलाके की स्कूल का नहीं, बल्कि राजधानी के पेशनबाड़ा स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला विवेकानंद नगर का है।
अहम बात यह है ये स्कूल जिला शिक्षाधिकारी और माध्यमिक शिक्षा मंडल के कार्यालय के पीछे है। इससे प्रदेश के अन्य स्कूलों के हाल का अंदाजा लगाया जा सकता है। यहां पर सिर्फ एक शिक्षक और एक प्रिंसिपल की ड्यूटी लगाई गई हैं। जबकि यहां पर 7 पीरियड लगते हैं। एेसे में बच्चों का कोर्स पूरा होना तो दूर रेग्युलर क्लासेस भी नहीं लग पा रही हैं।
पत्रिका टीम जब स्कूल पहुंची तो छठवीं क्लास में एक बच्ची विज्ञान की क्लास ले रही थी। वहीं 8वीं की कक्षा में चपरासी दुर्गेश ठाकुर बच्चों को गणित पढा रहे थे। इस संबंध में विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों को एक-एक क्लास लेने की जिम्मेदारी दी गई।
दीपक तले अंधेरा
शिक्षकों की कमी को लेकर शाला प्रबंधन समिति ने जिला शिक्षाधिकारी और शिक्षा मंत्री के सचिव को भी शिकायत की थी। यह स्कूल खुद प्रदेश और जिला की शिक्षा व्यवस्था का संचालन करने वाले डीईओ और माध्यमिक शिक्षामंडल के कार्यालय के पीछे है लेकिन इस ओर अधिकारियों की नजर नहीं जा रही है।
सुविधाएं नहीं
राज्य के बजट में शिक्षा के लिए 12472 करोड़ का बजट तय किया गया है, लेकिन स्कूल में न तो लाइब्रेरी न कंप्यूटर रूम है। बतादें कि यह वहीं स्कूल हैं जहां के दो बच्चों को खुद राज्यपाल ने इसी गणतंत्र दिवस को वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया था।
1-1 पीरियड ले रहे है अटैच टीचर
शिकायत के बाद जिला शिक्षाधिकारी ने पास के ही प्राइमरी स्कूल की दो महिला शिक्षिकाओं को यहां अटैच किया है। जो एक-एक पीरियड लेकर वापस प्राइमरी में सेवाएं देने चली जाती हैं। जबकि स्कूल में कुल 7 पीरियड लगते हैं। यहां की प्रिंसिपल 21 जनवरी को सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। अभी उन्हें 31 मार्च तक का एक्सटेंशन दिया गया है। दूसरी ओर एक अन्य स्थाई शिक्षक को गंभीर बीमारी होने के कारण इलाज के लिए छुट्टी लेनी पड़ती है।
गांवों के स्कूल को बना रहे स्मार्ट
जिलाधीश गांवों के दर्जनों स्कूलों को स्मार्ट बनाने का दावा कर रहे हैं लेकिन शहर के स्कूलों की ओर उनका ध्यान नहीं है। इस वजह से न तो स्कूल में शिक्षक है न ही लाइब्रेरी और कंप्यूटर है। पत्रिका टीम ने जब 8वीं कक्षा के बच्चों से चर्चा की तो पता चला की अभी कई विषयों के कोर्स आधे भी नहीं हुए हैं।
रायपुर जिला शिक्षाधिकारी एएन बंजारा ने कहा कि शिकायत मिलने के बाद प्राइमरी के दो शिक्षकों को अटैच किया गया है। फिर भी यदि समस्या बनी हुई है तो मैं खुद सोमवार को निरीक्षण करता हूं।
Published on:
11 Feb 2018 01:50 pm
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