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आचार संहिता का हवाला देकर अटका मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पोस्टिंग, स्टूडेंट्स हो रहे परेशान…

Chhattisgarh Jobs : स्वास्थ्य विभाग ने अब ऐसे छात्रों की पोस्टिंग करने विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के डीन, जिलाें के सीएमएचओ व जिला अस्पतालों के सिविल सर्जन को पत्र लिखा है।

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CG Jobs : मेडिकल कॉलेजों से पोस्ट ग्रेजुएट पास करने वाले 50 से ज्यादा छात्रों की पोस्टिंग अब अस्पतालों में होने लगेगी। आर्डर के बाद भी आचार संहिता के कारण उनकी पोस्टिंग अटक गई थी। चार पीजी छात्रों की पोस्टिंग नेहरू मेडिकल कॉलेज में की गई है, जो नियम विरुद्ध है।

विशेषज्ञ इस पर सवाल भी उठा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने अब ऐसे छात्रों की पोस्टिंग करने विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के डीन, जिलाें के सीएमएचओ व जिला अस्पतालों के सिविल सर्जन को पत्र लिखा है। सभी को 15 दिनों के भीतर ज्वाइनिंग कराने के आदेश दिए गए हैं। साथ ही अटेडेंस तत्काल स्वास्थ्य संचालनालय भेजने को कहा गया है।

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पीजी करने के बाद बांड के तहत पास छात्रों को दो साल की ग्रामीण सेवा में जाना होता है। अब इसे ग्रामीण सेवा के बजाय दो साल की संविदा नियुक्ति का नाम दे दिया गया है। इसके तहत छात्रों को ग्रामीण सेवा तो कम शहरों के अस्पतालों में ज्यादा पोस्टिंग दी जा रही है।

आचार संहिता के पहले यानी सितंबर में 89 छात्रों की पोस्टिंग का आर्डर निकला था। इसमें आचार संहिता के पहले 39 छात्रों की पोस्टिंग तो हो गई, लेकिन कई डीन, सीएमएचओ व सिविल सर्जन ने आचार संहिता की आड़ में पोस्टिंग ही नहीं दी। जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि पोस्टिंग का आचार संहिता से कोई लेना देना नहीं था। छात्र संबंधित मेडिकल कॉलेज, जिलों में गए तो उन्हें आचार संहिता का हवाला देकर टरका दिया गया। ऐसे में छात्र भटकते रहे।

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दरअसल दो साल की संविदा नियुक्ति जितनी जल्दी पूरी हो जाए, छात्रों के लिए अच्छा है। कई छात्र पीजी के बाद सुपर स्पेश्यालिटी कोर्स डीएम व एचसीएच की परीक्षा देते हैं। इसकी तैयारी के लिए समय चाहिए। कई छात्र संविदा सेवा पूरी होने के बाद नियमित या प्राइवेट नौकरी के लिए प्रयास करते हैं। हालांकि क्लीनिकल विभागों में पढ़ाई करने वाले डॉक्टरों के लिए नौकरी की कोई कमी नहीं है। किसी न किसी सरकारी व प्राइवेट अस्पताल में नौकरी लग जाती है।


नेहरू मेडिकल कॉलेज में दे रहे सेवा
नेहरू मेडिकल कॉलेज में चार ऐसे छात्रों की पोस्टिंग कर दी गई है, जो नियम विरुद्ध है। रेडियो डायग्नोसिस, रेडियो थैरेपी व मेडिसिन विभाग में ऐसे छात्रों की पोस्टिंग की गई है। चूंकि ये बड़े विभाग हैं इसलिए यहां पीजी छात्रों की संख्या काफी है। मेडिसिन में 51, रेडियो डायग्नोसिस में 33 व रेडियो थैरेपी विभाग में 18 पीजी छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।

इन विभागों के बजाय जिला अस्पतालों में पोस्टिंग करते तो कैंसर या दूसरी बीमारियों के मरीजों को रायपुर की दौड़ नहीं लगानी पड़ती। चूंकि जिला अस्पतालों में कैंसर मरीजों की कीमोथैरेपी की जा रही है, इसलिए वहां विशेषज्ञ की जरूरत है। जिला अस्पताल न सही, दूसरे मेडिकल कॉलेजों में पोस्टिंग की जा सकती थी।