
भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने गर्भवती महिलाओं को सोनोग्राफी से पहले देना होगा आधार कार्ड
रायपुर. अब गर्भवती महिलाओं की सोनोग्रॉफी जांच के लिए आधार कार्ड जरूरी कर दिया गया है। आधारकॉर्ड या एड्रेस प्रूफ नहीं होने पर सोनोग्रॉफी जांच नहीं हो सकेगी। भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के लिए पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट में बदलाव करते हुए गर्भवती महिलाओं व अन्य मरीजों को एड्रेस प्रूफ या आधार कार्ड देना अनिवार्य कर दिया गया है। लेकिन ज्यादातर संचालक इसका पालन नहीं करते हैं। स्वास्थ्य संचालक ने इसके लिए प्रदेश के सभी सोनोग्राफी सेंटरों और गायनोक्लॉजिस्ट को सख्ती से पालन करने के निर्देश जारी किए हैं।
पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट की शुरुआत 1996 में की गई, उससे पहले महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कोई कानून नहीं बना था। लेकिन तकनीक का गलत इस्तेमाल गर्भ में पल रहे संतान के जेंडर की पहचान और उसके गर्भपात कराने के लिए किया जाने लगा है। जिससे मद्देनजर कानून में नए तथ्य को जोड़ा गया है।
सजा का है प्रावधान
पीएनडीटी एक्ट में हाल के संशोधनों से सोनोग्राफी सेंटरों के संचालक और गायनोक्लॉजिस्ट जांच के लिए आने वाले मरीजों से उनका एड्रेस प्रूफ नहीं लिया जाता है। आधार या दूसरा आईडी प्रूफ नहीं होने के बावजूद संचालक सोनोग्राफी कर रहे हैं। जिसमें लाईसेंस कैंसिल होने के साथ जेल का भी प्रावधान है।
एक्ट में बदलाव के मुताबिक
1-सोनोग्राफी सेंटरों के यहां सेवाएं देने वाले सोनोलॉजिस्ट के नौकरी छोडऩे या हटाने की एक माह पहले देनी होगी सूचना।
2. सोनोग्राफी मशीन में बदलाव करने की जानकारी एक माह पहले सीएमएचओ कार्यालय में देनी होगी। पहले यह नियम नहीं था। सेंटरों में बदलाव की जानकारी बाद में दी जाती थी।
3.लाइसेंस अवधि समाप्त होने के एक माह के समय में रिनुअल कराना अनिवार्य किया गया है।
4. आयुर्वेदिक डॉक्टर, यूनानी या होम्योपैथ के डॉक्टर सोनोग्राफी की जांच नहीं कर सकते हैं।
स्वास्थ्य सेवाएं संचालक रानू साहू ने कहा कि सभी जिले सीएमचओं को निर्देश दिए गए हैं कि सभी सोनोग्राफी सेंटरों के संचालकों को पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट के तहत जानकारी भेजने का पालन करने को कहा जाए।
Published on:
15 Oct 2017 08:10 pm
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