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IPS सदानंद कुमार बाले – सही गाइडेंस से आसान हो जाती है यूपीएससी की राह

'छोटी उम्र में ही अपने पिता को खोने के बाद परिवार के सामने दो जुन की रोटी का संकट था। ऐसे में पढ़ाई भी जारी रख पाना कठिन था

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deepak dilliwar

Jan 18, 2017

IPS sadanand kumar

IPS sadanand kumar

चन्द्रमोहन द्विवेदी@रायपुर. 'छोटी उम्र में ही अपने पिता को खोने के बाद परिवार के सामने दो जुन की रोटी का संकट था। ऐसे में पढ़ाई भी जारी रख पाना कठिन था। लेकिन स्कूल से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई खेतों में काम करते हुए और फिर ट्यूशन पढ़ाकर पूरी की। बड़े भाई यूपीएससी की तैयारी में प्रेरक व मार्गदर्शक बने।' यह कहानी है वर्तमान में बलरामपुर एसपी की जिम्मेदारी संभाल रहे आईपीएस सदानंद कुमार की। 'पत्रिका' से चर्चा में उन्होंने यूपीएससी के सफर को कुछ यूं बयां किया...

सवाल : आपका बैकग्राउंड कैसा रहा है?
जवाब : जब मैं चार साल का था, तभी पिताजी का निधन हो गया। हम छह भाई बहन थे। घर में आर्थिक परिस्थिति काफी कमजोर थी। ऐसे में मां व बड़े भाई ने जिम्मेदारी संभाली। साथ ही हमें भी दूसरों के खेतों में काम करने जाना पड़ता था। इस तरह रोटी भी मिली और पढ़ाई भी हुई। जब मैं आठवीं क्लास में था तब से कॉलेज तक जूनियर क्लास के स्टूडेंट्स को ट्यूशन देता था।

सवाल : कब तय किया कि यूपीएससी क्वॉलिफाई करना है?
जवाब : मुझे एमए पूरा करते तक यूपीएससी के संबंध में कोई जानकारी नहीं थी। दूसरे नंबर के भाई ने मुझे बताया कि यूपीएससी के जरिए ही आईएएस, आईपीएस बना जा सकता है। उन्होंने ही मुझे गाइड किया और मैंने दिल्ली में उनके साथ रहते हुए व कोचिंग पढ़ाते हुए खुद प्रिपरेशन शुरू कर दिया।

सवाल : किस तरह की स्ट्रेटजी बनाकर तैयारी की?
जवाब : मैंने जॉब करते हुए तैयारी की तो पढऩे का वक्त कम होता था। ऐसे में टू द प्वॉइंट पढऩा जरूरी था। जीएस के लिए न्यूजपेपर व प्रतियोगी परीक्षाओं की कुछ मैगजीन ने मदद की। सिलेबस व सवालों के अनुसार विषय पर लिखने की प्रैक्टिस लगातार की। बहुत ज्यादा किताबों को पढऩे के बजाय सिलेक्टिव स्टडी पर फोकस किया।

सवाल : क्या कोचिंग जरूरी है?
जवाब : कोचिंग एक मार्गदर्शक के रूप में काम करता है। शुरुआती दौर में कैंडिडेट को यह समझ नहीं आता कि क्या पढ़ें और क्या छोड़ें। ऐसे में सही गाइडेंस जरूरी है। अगर आपके पास कोई अच्छा गाइड करने वाला है तो कोचिंग संस्था की जरूरत नहीं। बाकी पढ़ाई में मेहनत आपको खुद करनी होती है।

सवाल : सब्जेक्ट सिलेक्शन कितना इम्पॉर्टेंट है?
जवाब : जहां तक बात सब्जेक्ट सिलेक्शन की है तो कैंडिडेट को अपनी स्कोरिंग सब्जेक्ट देखना चाहिए। इसमेंं रुचि भी होनी चाहिए और यह भी ध्यान रखें कि सिलेबस बड़ा न हो।

सवाल : दो प्रयास में आप असफल रहे हैं, क्या निराशा हावी हुई?
जवाब : जीवन में पहले कई ऐसे दौर आए जब सबकुछ खत्म सा लगा था, ऐसे में यूपीएससी में असफल होने पर दिमाग में सिर्फ यही था कि सकारात्मक सोच के साथ आगे बढऩा है। सही दिशा में आप चलें तो सफलता निश्चित ही मिलती है। मन में यही बात रहती थी कि कल बेहतर होगा।

सवाल : आपकी लाइफ का क्या फंडा है?
जवाब : हर दिन को नएपन के साथ मजे से जियो। मैं अपने नाम को ध्यान में रखकर काम करता हूं। कोशिश होती है खुद सदा आनंदित रहूं और दूसरों को भी खुशी दे सकूं। मैं बीत गई उससे सीखता हूं और भविष्य में उस सीख को अप्लाई करता हूं।

सवाल : आईपीएस बनने के बाद किस तरह बदलाव आया है?
जवाब : थोड़ी लाइफस्टाइल बदल गई है। लेकिन मन में आईपीएस होने का गुमान न रखे इसमें जुड़े 'सर्विसÓ शब्द को याद रखता हूं। वर्दी के बिना मैं आम आदमी ही हूं। हां, आईपीएस बनने के बाद व्यक्तित्व निखर गया है। दायरा बढ़ गया है।