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Rajim Kumbh Mela 2024: राममय थीम पर सजा मेला, दिखेगा अयोध्या धाम का वैभव, सीएम विष्णु नहीं होंगे शामिल

Rajim Kumbh Mela 2024: यह मेला शनिवार से शुरू होकर 8 मार्च तक चलेगा। (CG Rajim Kumbh Mela) शनिवार शाम 7 बजे अमरकंटक के आचार्य महामंडलेश्वर अग्नि पीठाधीश्वर ब्रह्मर्षि रामकृष्णनंद महाराज मेले की शुरुआत करेंगे..

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Rajim Kumbh Mela 2024: राजिम मेले को इस बार राममय थीम पर सजाया गया है। इसके लिए मुख्य मंच को अयोध्या में निर्माणाधीन मंदिर की तर्ज पर सजाया गया है। (CG Rajim Kumbh Mela) यह मेला शनिवार से शुरू होकर 8 मार्च तक चलेगा। शनिवार शाम 7 बजे अमरकंटक के आचार्य महामंडलेश्वर अग्नि पीठाधीश्वर ब्रह्मर्षि रामकृष्णनंद महाराज मेले की शुरुआत करेंगे। वहीं कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय शामिल नही होंगे। समारोह की अध्यक्षता डिप्टी सीएम अरूण साव, विजय शर्मा और मंत्री बृजमोहन अग्रवाल करेंगे।


Rajim Kumbh Mela 2024: राजिम में कुंभ का आयोजन करने का बड़ा कारण है त्रिवेणी संगम। पैरी और सोंढ़ुर यहां आकर महानदी में मिलती है। हजारों की भीड़ यहां इन्हीं तीन नदियों के पवित्र जल में स्नान करने के लिए उमड़ती है। नेहरु घाट समेत आसपास के जिन घाटों में लोग स्नान करते हैं, उन इलाकों को तो प्रशासन ने चमका दिया है। सच में? लगता तो नहीं। नहीं समझे! बताते हैं। राजिम मेला लगने से ठीक एक दिन पहले शुक्रवार को पत्रिका ग्राउंड जीरो पर पहुंचा। सच्चाई जानकर आपको भी झटका लगेगा

मेले की तैयारियों को लेकर इस बार रायपुर की एक इवेंट कंपनी को ठेका दिया गया है। कंपनी ने जिस जगह पहले ही घाट है, वहां अस्थाई कुंड बना डाला। ये कुंड नेहरु घाट में बना है। मजे की बात है कि मेला लगने से पहले शुक्रवार को जब स्नान वाले घाटों में पानी भरने के लिए स्टॉप डैम खोला गया तो नेहरु घाट का कुंड पूरी तरह डूब गया। अब समझ ही नहीं आ रहा है कि घाट में कुंड कहां है?

साधु-संतों के लिए लोमष ऋषि आश्रम के पास शाही स्नान करने का इंतजाम है। साधु यहां त्रिवेणी संगम में पुण्य स्नान करने के लिए जुटे हैं। लेकिन, यहां उन्हें दो नदियों के पानी में ही शाही स्नान कर संतोष करना होगा। वजह, जिस जगह कुंड है, वहां केवल पैरी और सोंढ़ुर का पानी मिलता है। त्रिवेणी संगम में स्नान के लिए कुलेश्वर महादेव मंदिर के पास कुंड बनाने की जरूरत है।

नदी के बीच सजे मेले में आने-जाने में परेशानी न हो, इसलिए रेत के ऊपर फर्शी पत्थर बिछाए हैं। पत्रिका ने शुक्रवार को जब मेला स्थल की पड़ताल की तो पता चला कि 20% फर्शी पत्थर अभी से टूट चुके हैं। बड़ा सवाल ये कि हजारों लोग जब इससे गुजरेंगे, तो क्या ये पत्थर लोगों का भार सह पाएंगे! अगर नहीं तो इन पर लोगों के लड़खड़ाकर घायल होने की पूरी आशंका है।

मेले के लिए प्रशासन ने इस बार करीब हजार दुकानें तैयार करवाई हैं। इन दुकानों का साइज 10 बाई 10 है। यहां दुकानें सजाने वाले दुकानदार अपने साथ 15 दिन का सामान लेकर आए हैं। इन्हें रखने के लिए जगह कम पड़ रही है। कुछ के सामान तो बाहर ही रखे हैं। अब दुकानदार परेशान हैं कि शनिवार से मेला शुरू होगा तो भारी भीड़ के बीच वे अपने सामान की हिफाजत कैसे करेंगे।