
आजकल शहरों में बहुमंजिला इमारतें बनने लगी हैं। इन इमारतों में अगर वह रिहायशी है तो लिफ्ट की सुविधा और अगर वह मॉल आदि है तो लिफ्ट के साथ ही एस्केलेटर की सुविधा बुनियादी ढांचे का अनिवार्य हिस्सा होती हैं। लोगों से जुड़ी ये सुविधाएं हैं तो बहुत अच्छी, पर इनमें आएदिन छोटे से लेकर बड़े हादसे होते रहते हैं। हाल ही में भिलाई में एक व्यावसायिक संस्थान में लिफ्ट से गिरकर एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इसके करीब चार माह पहले भी वहां लिफ्ट में ही इसी तरह का हादसा हुआ था, उसमें भी एक मौत हुई थी। इसी तरह आजकल बड़े-बड़े व्यावसायिक संस्थानों और मॉल में एस्केलेटर भी लगाए जाते हैं। इनमें भी कई बार हादसे होते रहते हैं। इस तरह के हादसों का कारण रखरखाव की अनदेखी, नियमित निरीक्षण का अभाव होता है। सरकार ने लिफ्ट और एस्केलेटर की सुरक्षा को लेकर पिछले दिनों एक बड़ा फैसला लिया। लोगों की जान-माल से जुड़ी ये खबर अखबारों की सुर्खियां नहीं बन पाई। यह खबर किसी कोने में ही स्थान पा सकी। छत्तीसगढ़ सरकार के इस फैसले के तहत अब सभी लिफ्ट और एस्केलेटर का पंजीकरण, नवीनीकरण और निरीक्षण अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि लोगों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। नियम के तहत लिफ्ट और एस्केलेटर का संचालन उच्च सुरक्षा मानकों के अनुसार जरूरी है। इससे दुर्घटनाओं का खतरा कम होगा और कानूनी परेशानियों से भी राहत मिलेगी। सरकार ने लिफ्ट और एस्केलेटर से जुड़ी सभी सेवाओं को पब्लिक सर्विस गारंटी एक्ट में शामिल कर दिया है। अब इन सेवाओं को अधिकतम 30 दिन के भीतर पूरा करना अनिवार्य होगा। अगर तय समय में काम नहीं होता है, तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे। इससे उद्योगों और व्यावसायिक संस्थानों को समय पर सेवा मिलेगी। लिफ्ट के लाइसेंस का नियम अभी तक महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, असम, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में आवश्यक है। छत्तीसगढ़ में भी इस दिशा में पहल की गई है लिफ्ट और एस्केलेटर की सुरक्षित व्यवस्था सुनिश्चित करना जरूरी है। सभी बिल्डरों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और लिफ्ट संचालकों से अपील भी की गई है कि वे नए नियमों का कड़ाई पालन करें और सुरक्षित रूप से लिफ्ट और एस्केलेटर की सुविधाएं उपलब्ध कराएं। साथ ही सरकार को चाहिए कि वह इस बात पर भी कड़ी नजर रखे कि लोगों के जीवन की रक्षा से जुड़ा यह कानून कहीं निचले स्तर के अधिकारी-कर्मचारियों की ऊपरी कमाई का जरिया न बन जाए।
-अनुपम राजीव राजवैद्य
anupam.rajiv@epatrika.com
Published on:
09 May 2025 02:43 am
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