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रायपुर. राज्य सरकार पेड़ों की कटाई के नियम को शिथिल करने के बाद अब आदिवासियों की जमीन पर लगे पेड़ों की कटाई के लिए नियमों को सरलीकृत करने का मन बना रही है। अब पेड़ काटने के लिए कलेक्टर के स्थान पर अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) राजस्व को आवेदन करना होगा। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग इसका प्रस्ताव तैयार कर राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में रखेगा। बताया जाता है कि मंत्रिपरिषद की सहमति मिलने के बाद संशोधित विधेयक को विधानसभा के पटल पर भी रखा जा सकता है।
बता दें कि वर्तमान में राज्य सरकार ने पेड़ कटाई के नियम में कई बदलाव किए हैं, लेकिन ये अनुसूचित जनजाति वर्ग के भूस्वामियों के लिए लागू नहीं होते हैं। अब आदिवासियों को भी अपनी जमीन पर लगे अधिकतम 10 पेड़ काटने की अनुमति दी जा सकती है।
विभाग करेगा नीलामी,10 फीसदी राशि भी रखेगा
पेड़ काटने से पहले निर्धारित पत्र में आवेदन करना होगा। आवेदन के ३० दिन के भीतर वन मंडलाधिकारी पेड़ों की कटाई और परिवहन की व्यवस्था करेगी। लकड़ी की नीलामी के बाद संबंधित के खातों में 90 फीसदी की राशि ट्रांसफर की जाएगी। शेष 10 फीसदी की राशि से वन विभाग 10 गुना वृक्षारोपण करने का काम करेगा और उसकी देखभाल करेगा। नियमों को सरल बनाने से आदिवासी किसान मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना का लाभ उठा सकेंगे। इससे उनकी आय में इजाफा भी होगा।
परिवहन अनुज्ञा पत्र की अनिवार्यता से हुए मुक्त
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में १ फरवरी को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ अभिवहन (वनोपज) नियम-2001 में संशोधन के प्रारूप का अनुमोदन किया गया था। इसमें मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना में निजी क्षेत्र में स्थित वृक्षों की कटाई एवं परिवहन प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए अंतर्विभागीय समिति की अनुशंसा के आधार पर 32 प्रकार के वृक्षों के काष्ठ एवं जलाऊ को परिवहन अनुज्ञा पत्र की अनिवार्यता से मुक्त किया गया था। इसके साथ ही किसी व्यक्ति के स्वयं के स्वामित्व के बांस की समस्त प्रजातियों को अब 9 जिलों के स्थान पर राज्य के समस्त जिलों में परिवहन की अनुज्ञा पत्र की अनिवार्यता से मुक्त किया गया था।
Published on:
22 Feb 2022 12:18 pm
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