
कांकेर. भानुप्रतापपुर विकासखंड से 52 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत बासकुड के आश्रिम ग्राम निचेतोनका के ग्रामीण पिछले दस वर्षों से लकड़ी के पुल के भरोसे आना जाना कर रहे हैं। बारिश के मौसम में हमेशा उनका गांव पंचायत और ब्लाक मुख्यालय से कट जाता है, इसके चलते उन्हें राशन, अस्पताल सहित अन्य जरूरत के सामानों के लिए वंचित होना पड़ता है। ग्रामीणों की माने तो पुल की मांग करते थक चुके हैं, इसके बाद भी प्रशासन इस ओर अब तक पहल नहीं की है।
करीब 500 वाली आबादी वाली ग्राम निचेतोनका के ग्रामीण दस वर्षों से पुल बनाने की मांग को लेकर पंचायत, जनपद, कलक्टर, ग्राम सुराज सहित अन्य जगहों पर सौंप चुके है, इसके बाद उनके मांगों पर कोई पहल नहीं हुआ। एक बार फिर ग्रामीणों ने बड़ी उम्मीद लेकर सोमवार को पुल निर्माण की मांग को लेकर कलक्टर को ज्ञापन सांैपा है। ग्राम सरपंच झाडू राम, नरेन्द्र गोटा, सोन साय, उमा देवी आंचला, जागेश्वर उइके, माहे सिंह आंचला, अर्जुन गोटा, छबीराम, मुरहा, चन्दूराम पटेल, ईश्वर गोटा, रज्जो, कंवली बाई, रामबत्ती, लता बाई सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि बारिश में बाढ़ आने पर पुल को बहाकर ले जाता है। बाढ़ के बाद ग्रामीणों के श्रमदान से लकड़ी का पुल तैयार किया जाता है, तब जाकर लोगों का आवागमन होता है। बारिश तेज होने पर स्कूली बच्चे सहित ग्रामीण भी गांव से बाहर नहीं जा पाते है। हर साल लकड़ी का पुल बनाते हैं। बारिश में जान जोखिम में डालकर गा्रमीण पुल को पार करते हैं।
60 विद्यार्थियों की हो रही पढ़ाई प्रभावित
पुल के अभाव में बारिश होने पर बाढ़ आ जाती है। इसके चलते विद्यार्थी पुल पार कर नहीं जा पाते हैं। उनके गांव के साथ लगे हुए गांव के करीब ६० छात्र-छात्राएं अध्यापन के लिए ग्राम हाटकर्रा सहित पास के ग्राम के स्कूल
में जाते है। सबसे ज्यादा ङ्क्षचता मिडिल स्कूल के विद्यार्थियों को होती है।
पांच गांव आश्रित
ग्रामीणों के माने तो निचेतोनका के अलावा, पास के ग्राम उपरतोनका, खड़का, भुड़का, चल्हाचुर के ग्रामीण इस पुल पर निर्भर हैं। रोज सैकड़ों लोग इस पुल को पार कर आना जाना करते है। लकड़ी की पुल बनाने के लिए पंचायत का सहयोग मिलता है।
Published on:
26 Sept 2017 04:47 pm
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