
काम की खबर: वैज्ञानिकों ने किया रिसर्च, अब धान की खेती के लिए नहीं है पानी की जरूरत
रायपुर। छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है। किसानों की समस्या को मद्देनज़र रखते हुए प्रदेश के वैज्ञानिकों ने रिसर्च कर नई तरकीब इजात की है। आशा लगाया जा रहा है इस शोध के बाद अब कृषको में ख़ुशी की लहर होगी। प्रदेश के इतिहास में यह पहला ऐसा मौका होगा, जब धान की 30 प्रजातियों में से तीन प्रजातियों में अनुसंधान के बाद सभी कृषि विज्ञान केंद्रों में एक साथ इसकी खेती की जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि यह 3 प्रजातियां 600 मिली मीटर बारिश में भी तैयार होने में सक्षम पाई गई है। इसका मतलब यह है कि सूखे की स्थिति में भी अब धान की खेती संभव है।
अब मात्र 600 मिलीमीटर जैसी अल्प बारिश में भी धान की खेती संभव होने जा रही है। टीसीबी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन बिलासपुर में धान की 30 प्रजातियों पर हुए अनुसंधान के बाद इनमें से तीन ऐसी प्रजातियां मिली है, जिनमें जबरदस्त सूखा प्रतिरोधक क्षमता के होने का खुलासा हुआ है।
फिलहाल रिसर्च सेंटर के फार्म हाउस में इसकी खेती की जा रही है। अनुसंधान के बाद प्रदेश के सभी 24 कृषि विज्ञान केंद्रों को आदेश जारी किए गए हैं कि वे अपने प्रक्षेत्र के कम से कम 1 या 2 एकड़ क्षेत्रफल इसके लिए सुरक्षित रखें ताकि इनके बीज किसानों तक जल्द से जल्द पहुंचे।
आधे पानी में हो जाएगी पैदावार
रायपुर और बिलासपुर में चले रहे अनुसंधान में 30 में से 3 प्रजातियों को विशेष ध्यान में रखते हुए काम किया जा रहा है क्योंकि ये 3 प्रजातियां मात्र 600 मिलीमीटर बारिश में भी बेहतर परिणाम दे सकती हैं। जबकि सामान्य धाम की दूसरी प्रजातियों को कम से कम 1000 से 1008 मिलीमीटर बारिश की आवश्यकता होती है।
अनुसंधान और परिणाम
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर और टीसीबी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन बिलासपुर के फार्म हाउस में चल रहे अनुसंधान में धान की प्रजातियों को सूखे के दिनों में होने वाली बारिश की मात्रा जितना ही पानी दिया जा रहा है। रोजाना की स्थितियों पर सतत नजर रख रहे वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसी स्थितियों में भी अच्छी ग्रोथ ले रहे हैं। अक्टूबर माह के अंत तक अंतिम परिणाम आ सकता है।
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Published on:
01 Aug 2019 01:03 pm
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