
अक्सर हम अपने बड़े बुजुर्गो से शगुन अपशगुन या शुभ अशुभ जैसी बातें सुनते आए हैं। जैसे कि रात में नाख़ून ना काटे , ग्रहण के समय बाहर ना निकले इत्यादि। बुजुर्गों की बाते तो सच ही होती थी पर उनके पीछे कोई शगुन अपशगुन या शुभ अशुभ नहीं बल्कि तर्क होते थे।
आइए हम इन बातों के पीछे का तर्क जानते हैं।
1 रात में नाख़ून काटना अपशगुन होता है
इसके अलावा नाइ से नाख़ून कटवाने को इसलिए कहा जाता था क्युकी नाख़ून काटना हज़ामत का काम समझा जाता था इस लिए लोग उनका ही काम उनसे नाख़ून कटवाने की बात किया करते थे। इसके पीछे तर्क था कोई अपशगुन नहीं।
2 काँच का टूटना अशुभ होता हैं
जब कांच टूटता हैं तो उसके टुकड़े नुकीले और धारदार होते हैं इसलिए अगर कोई टुकड़ा पडा रह जाए तो कटने का डर ज्यादा रहता था। पहले मेडिकल सुविधाएँ भी ज्यादा विकसित नहीं थीं जिसके कारण जख़्म ठीक होने में लम्बा समय लग जाता था। इसलिए लोगो ने उसे शुभ अशुभ से जोड़ दिया था।
3 ग्रहण के समय बाहर न निकले
अक्सर हम अपने बड़े बूढ़ो से सुनते आए हैं कि ग्रहण के दौरान बाहर नहीं निकलना चाहिए। इसके लिए वे कई शुभ अशुभ की कहानियाँ भी सुनाते रहे हैं पर इसके पीछे का तर्क यह हैं की सूर्य ग्रहण के समय सूर्य को देखने से हमारी आँखों के रेटिना को हानि होती हैं।
4 गुरुवार और शनिवार को बाल न धोए
पहले पानी के लिए हम कुओं , तालाबों या हैंडपम्प् पर आश्रित थे। महिलाओं के बाल बड़े होने के कारण उन्हें बाल धोने के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता होती थी। इसलिए हफ्ते में कुछ दिन निर्धारित किये गए जिससे पानी की बचत हो सके।
Published on:
20 Feb 2018 03:46 pm
बड़ी खबरें
View Allरायपुर
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
