
कण-कण में शिव, संगम के किनारे विराजे सोमनाथ
रायपुर. सोमनाथ मंदिर (Somnath temple) का नाम जब लोगों के जुबान में आता है,तो विश्व प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिगों में सबसे पहले गुजरात राज्य के सोमनाथ महादेव नाम आता है। लेकिन इससे अलग छत्तीसगढ़ राज्य के राजधानी रायपुर से बिलासपुर सड़क मार्ग पर जहां खारुन-शिवनाथ नदी का संगम स्थल भूमिया-सांकरा ग्राम में है। वहां पर सोमनाथ मंदिर में स्वम-भू शिव विराजमान जिसका अपना एक अलग ही महत्व है।
यहां श्रद्धालु महादेव की आराधना कर अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं। शिव के प्रति लोगों का आस्था इतना जुड़ा है। दूर-दूर से भक्त अपने मनोकामना मांगने सोमनाथ मंदिर आते है। मंदिर के पुजारी ने बताया साल में दो बार यहा पर भक्त बड़ी संख्ख्या में आते है। सावन महिने के प्रत्येक सोमवार को कांवरिया सैकड़ों संख्ख्या में पहुचकर शिवलिंग में जल चढ़ाते है।
राम ने किया शिवलिंग का निर्माण
त्रेतायुग में राम को जब वनवास हुआ था। तब वनवास के अधिकांश समय छत्तीसगढ़ में व्यतित किए थे ।राम लक्ष्मण और सीता नदी के किनारे ही भ्रमण करते और जहां रुकते वहा पर शिवलिंग का निर्माण कर पूजा करते थे। सोमनाथ शिवलिंग का निर्माण राम ने शिवनाथ व खारुन के संगम स्थल के रेत से निर्माण किया था। जिसका पूजा सीता स्वम करती थी।
तिल के आकार से बढ़ता लंबाई
सोमनाथ शिवलिंग की मान्यता है,कि तिल के आकार से इसकी लंबाई प्रतिवर्ष बढ़ता है। अभी शिवलिंग करीब साढ़े तीन फीट ऊंचा है। भक्त कहते इसके आकृति पहले तीन फीट था, लेकिन धीरे-धीरे शिवलिंग का आकार बढ़ते जा रहा है।
तीन बार रंग बदलता है
7 वी -8 वी शताब्दी का सोमनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग बालू से बना है। जो साल में काले,भूरा और हल्का लाल रंग में बदलता है। यहां पर साल में सावन ,माघी पूणिमा और महाशिवरात्रि मेला लगता है।
Published on:
22 Jul 2019 08:26 am
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