
रायपुर. दीपोत्सव की पूर्व संध्या एेसे खुशनुमा क्षण का अहसास करा गई, जब 'पत्रिका परिवारÓ को अपने बीच पाकर वनवासी शबरी आश्रम की कन्याएं चहक उठीं। भारतीय संस्कृतियों को समेटे उन बच्चियों के चेहरे अपनेपन के अहसास से दमक उठे, जो अपने माता-पिता, भाई-बहन से बहुत दूर रह रही हैं। इन कन्याओं ने अपनी भाषा में प्रकृति प्रेम और जंगलों में रहने वाले जीवों की खुशहाली की कामनाएं बयां की। साथ ही गोस्वामी तुलसीदास और मीरा की भक्तिपूर्ण भजनों की प्रस्तुति से ओत-प्रोत कर दिया। बोल कुछ इस तरह थे- तुलसी मगन भयो रामगुन गाइके... ।
सबका स्वागत संबोधन
इस मौके पर आश्रम के प्रभारी तुलसी तिवारी ने पत्रिका परिवार का आभार जताते हुए आश्रम के कार्यों की संक्षेप में जानकारी दी। पत्रिका के राज्य संपादक ज्ञानेश उपाध्याय ने अपने प्रेरक उद्बोधन में बढ़े चलो... बढ़े चलो का संदेश दिया। स्थानीय संपादक राजेश लाहोटी ने कविता के माध्यम से बच्चियों के चेहरे पर खुशियां बिखेरी। अन्य सहयोगियों ने भी अपने विचार रखे।
प्रकृति हमारी ताकत
पत्रिका परिवार ने आश्रम की कन्याओं के बीच दिवाली की पूर्व संध्या पर खुशियां मनाई तथा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया। नगालैंड की बच्ची ने अपनी मातृभाषा में प्रकृति और जीवन का गीत सुनाया और एक बच्ची ने उस गीत का भावार्थ समझाया।
हम नहीं भूलेंगे, फूलझडि़यों के साथ झूम उठे
पत्रिका परिवार द्वारा कन्या शबरी आश्रम के बच्चियों के लिए मिठाइयां, पटाखे और दीपोत्सव की सामग्री भेंट की गई। दीपमालाएं सजाकर बच्चियां फूलझडि़यों के साथ जमकर चहकी।
संगीत से समां बांधा
मंच पर कन्याओं ने भक्तिमय भजनों की प्रस्तुति और प्रार्थना गीत सुनाकर सबका दिल जीता। वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सोनी ने अपनी गायकी से कार्यक्रम में समां बांध दिया। इससे पहले स्वागत और परिचय हुआ। इस कार्यक्रम में पत्रिका परिवार के सभी सदस्य, बच्चे सहित अंतरराष्ट्रीय पावर लिफ्टर संतोष सोनी, आश्रम अधीक्षका लेखा चक्रवर्ती, रमेश बाबू सहित आश्रम के अनेक सदस्यों ने हिस्सा लिया। यह कार्यक्रम शबरी कन्या आश्रम के बच्चों को अपनेपन का बोध करा गया।
Published on:
19 Oct 2017 02:47 pm
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