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बारिश ने बढ़ाई किसानों की चिंता, फसल को सुरक्षित रखने कर रहे जतन

कटाई के बाद खेत-खलिहान में रखे धान की बारिश में खराब होने की आशंका से किसान बेहद चिंचित नजर आ रहे हैं। वहीं, बारिश से पैरा सडऩे से पशुपालकों को भारी परेशानी उठानी पड़ सकती है। मौसम की बेरुखी और ठंडी हवा चलने के कारण लोग घरों में दुबके रहे।

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बारिश ने बढ़ाई किसानों की चिंता, फसल को सुरक्षित रखने कर रहे जतन

बारिश ने बढ़ाई किसानों की चिंता, फसल को सुरक्षित रखने कर रहे जतन

गरियाबंद जिले में सोमवार रात और मंगलवार को सुबह से बारिश होने व दिनभर बादल छाए रहने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। ठंडी हवा के साथ बारिश रुक-रुक कर होती रही। जिससे किसानों में मायूसी छाई रही। पांडुका अंचल में 30 प्रतिशत धान की कटाई बची हुई है। नमी और जमीन गीला होने के कारण कटाई प्रभावित हो रही है। ऐसे में बारिश होने से 4 से 5 दिनों तक कटाई नहीं हो सकेगी।

कटाई के बाद खेत-खलिहान में रखे धान की बारिश में खराब होने की आशंका से किसान बेहद चिंचित नजर आ रहे हैं। वहीं, बारिश से पैरा सडऩे से पशुपालकों को भारी परेशानी उठानी पड़ सकती है। मौसम की बेरुखी और ठंडी हवा चलने के कारण लोग घरों में दुबके रहे। जरूरी काम से घर से बाहर निकले लोग जैकेट व रेनकोट का उपयोग करते दिखे। साथ ही लोगों का सडक़ पर आवाजाही कम रही। अंचल में हुई बारिश से ॉदिनभर कोहरा छाया रहा।

आमापारा-पितईबंद मार्ग पर स्थित खेत में किसान रबी फसल की तैयारी में लगे हुए हैं। वहीं, धान का थरहा आधा इंच तक बढ़ गया है। कई किसान धान के बदले सब्जी उगाने में लगे हुए है। दूसरी ओर तेज हवा चलने से खरीफ की तैयार फसल खेत में ही पूरी तरह से लेट गया है। साथ ही बारिश होने से धान फसल भीग गया है। वहीं, धान कटाई के लिए किसानों को मजदूर नहीं मिल रहे हैं। लिहाजा, अधिकांश किसान बारिश से धान फसल को सुरक्षित करने मे लगे हुए हैं।

बेमौसम बारिश व बदली ने किसानों कीे चिंता बढ़ा दी है। कुंडेल, तरीघाट, सिर्रीखुर्द, खुटेरी, बिजली, चरौदा, बेलर सहित आसपास क्षेत्रों में सोमवार शाम और मंगलवार सुबह से ही दिनभर बारिश होती रही। बारिश से धान की फसल को नुकसान होने की आशंका से किसान चिंतित हैं। वर्तमान में धान फसल की कटाई युद्धस्तर पर चल रही है। वहीं, कई किसान फसल कटाई कर खलिहान व छतों के ऊपर रखे हुए हैं। अब अचानक मौसम में बदलाव आने से किसान धान को सूखा नहीं पा रहे हैं। बारिश से बचने के लिए किसान घरों के अंदर धान को सूखा रहे हैं।