
केंद्र सरकार का प्रस्ताव ख़ारिज, राज्य सरकार बनाने जा रही गुरू घासीदास उद्यान को प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व
रायपुर . भोरमदेव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने संबंधी केंद्र सरकार के प्रस्ताव को राज्य सरकार ने अंतत: खारिज कर दिया। दो साल से इस प्रस्ताव पर काफी मंथन, तर्क-वितर्क हुए। 13 गांव के ग्रामीणों ने इसका पुरजोर विरोध किया। खुद वन मंत्री मो. अकबर ने 21 फरवरी को विधानसभा में कहा था कि भोरमदेव टाइगर रिजर्व नहीं बनेगा, नहीं बना। लेकिन बैठक से वन्य प्राणियों के संरक्षण से जुड़ी कई अच्छी खबरें निकलकर सामने आई, उनमें दो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रही। छत्तीसगढ़ राज्य वन्यजीव बोर्ड एवं इसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरू घासीदास अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व बनाए जाने की घोषणा कर दी। वहीं लेमरू को हाथी रिजर्व बनाए जाने के के प्रस्ताव पर मुहर लगी दी।
बैठक में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, विधायक खेलसाय सिंह, देवव्रत सिंह, शिशुपाल सोरी, अतिरिक्त मुख्य सचिव अमिताभ जैन, प्रमुख सचिव वन मनोज पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) अतुल कुमार मौजूद रहे।
रखे गए प्रस्तावों में एक को छोड़ सबको मंजूरी, पढि़ए वन्यजीवों का कैसे होगा संरक्षण-
लेमरू हाथी रिजर्व को मंजूरी-
मानव-हाथी द्वंद्व को कम करने के लिए प्रदेश में एक और हाथी रिजर्व को मंजूरी मिल गई। कोरबा, रायगढ व सरगुजा जिले के कोरबा, कटघोरा, धरमजयगढ़ और सरगुजा वनमंडल के वनक्षेत्रों को मिलाकर लेमरू हाथी रिजर्व का गठन होगा, जो 1995.48 वर्ग किमी में फैला होगा। इसके पहले साल 2011 में सरगुजा एवं जशपुर के तीन अभ्यारण्य जिनमें बादलखोल, तमोर पिंगला और सेमरसोत को मिलाकर सरगुजा-जशपुर हाथी रिजर्व घोषित किया गया था।
बाघों के लिए-
- प्रदेश में बाघों की संख्या को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण की मदद लेगी। इसके साथ ही मध्यप्रदेश से चार मादा और दो नर बाघ की रिकवरी योजना के तहत छत्तीसगढ़ लाया जाएगा। उंदती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में बाड़ा (इन्क्लोजर) बनाकर रखा जाना है।
- अचानकमार टाइगर रिजर्व में एक मादा है, जबकि नर बाघों की संख्या चार है। इनके बीच वर्चस्व की लड़ाई इनके लिए ही खतरा बन गई है। दूसरी तरफ नर-मादा का अनुपात वैज्ञानिक दृष्टि से सही नहीं है। उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में एक मादा बाघ है, नर एक भी नहीं। यही कारण है कि अचानकमार से एक बाघ उदंती में शिफ्ट किया जाएगा। वहीं अचानक मार्ग टाइगर रिजर्व से तीन गावों का विस्थापन होगा।
- बाघों की संख्या में इजाफा कैसे हो, इसे लेकर भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) की मदद ली जाएगी। संस्थान की तरफ अध्ययन के लिए दिए गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।
- बाघों को पहली बार रेडियो कॉलर लगाया जाएगा, ताकि इनके हर एक मूवमेंट पर नजर रखी जा सके। राज्य ने केंद्र से रेडियो कॉलर लगाने की अनुमति मांगीं है।
वन भैंसों के लिए-
- वन अफसरों के मुताबिक हरियाणा के करनाल स्थित नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट में क्लोनिंग मैथ्ड से पैदा की गई मादा वनभैंसा दीप आशा परिपक्व हो गई है। अब इसे उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के वन भैंसों के संपर्क में लाया जाएगा। इसे लेकर केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिककरण से अभी अनुमति नहीं मिली है।
- असम स्थित मानस टाइगर रिजर्व से एक वन भैंसा बारनवापारा में शिफ्ट किया जाएगा। बतां दें कि यहीं से पांच मादा वनभैंसों को लेने संबंधी प्रस्ताव पर केंद्र मंजूरी दे चुकी है।
चीतलों के लिए-
- बारनवापारा में चीतलों की संख्या काफी अधिक हो चुकी है। यही वजह है कि इन्हें गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के साथ उदंती-सीतनदी टाइगर रिजर्व में ले जाया जाएगा, जहां इनकी संख्या कम है। अफसरों के मुताबिक कम से कम 200 चीतलों के ट्रांसलोकेट संबंधी प्रस्ताव को स्वीकृत कर दिया गया है।
इन्होंने रखी बतौर विशेषज्ञ अपनी बातें- वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) के प्रभारी आरपी मिश्रा, विश्व प्रकृति निधि के प्रतिनिधि सोमेन डे, कंजरवेशन कोर सोाइइटी की मीतु गुप्ता, सेवानिवृत्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) सुहास मिश्रा और केसी बेबर्ता, नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के सचिव मोईज अहमद, पक्षी विशेषज्ञ मोहित साहू,पर्यावरणविद अमलेंदु मिश्रा, हेमंत कश्यप समेत वन विभाग, पयर्टन एवं पशु चिकित्सा विभाग के वर्तमान और पूर्व अधिकारी, संस्था प्रमुख मौजूद रहे। इन्होंने अपने सुझाव रखे।
भोरमदेव अभ्यारण्य, अभ्यारण्य ही रहेगा। टाइगर रिजर्व नहीं बनेगा। मगर बाघ के कॉरीडोर को और बेहतर ढंग से विकसित किया जाएगा। गुरू घासीदास अभ्यारण्य टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा।
अतुल शुक्ला, पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ, वन विभाग
Published on:
24 Nov 2019 08:16 pm
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