
गैंग बनाकर अलग-अलग इलाकों से करते थे चोरी, पुरानी गाड़ियों को बनाते थे निशाना, हुआ बड़ा खुलासा
Raipur News : शहर से मोटरसाइकिल चोरी होने के पीछे पुराने अपराधियों का गैंग है। सुनियोजित ढंग से अलग-अलग इलाके से दोपहिया चुराते थे। इनको सस्ते में ओडिशा में बेच देते थे। पुलिस ने इसका खुलासा करते दोपहिया चोरी करने वाले दो गिरोह के 12 लोगों को पकड़ा है। इनमें एक नाबालिग सहित चोरी की दोपहिया खरीदने वाले 5 लोग शामिल हैं। (Raipur Crime News) आरोपियों से कुल 50 दोपहिया वाहन बरामद किया गया है, जिसकी कीमत 30 लाख रुपए आंकी गई है।
दोपहिया चोरी करने वाले दो गिरोह का खुलासा
मामले का खुलासा करते हुए एसएसपी प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि टिकरापारा के तरुण नगर बाजार के पास दो युवक बाइक बेचने के फिराक में घूम रहे थे। इसकी सूचना पर पुलिस ने दीपक बारले और तुकाराम साहू को पकड़ा।
पूछताछ में दोनों ने अपने साथी तिलक वैष्णव और राकेश बाघ के साथ मिलकर शहर के अलग-अलग जगह से 36 दोपहिया वाहनों की चोरी करने का खुलासा किया। (Raipur Crime Update) इसके बाद पुलिस की टीम ने उन्हें पकड़ा। इसके बाद चारों से पूछताछ के दौरान पता चला कि चोरी के वाहनों को ओडिशा, धमतरी और रायपुर में तरुण सेन, तोषण उर्फ लस्सु कोशले, चरणदास और दिनेश कुमार निषाद को 5 से 10 हजार रुपए में बेच दिया है। इसके अलावा अन्य वाहनों को छिपाकर रखा है। पुलिस ने उनको भी पकड़ा। (Raipur News Update) आरोपियों की निशानदेही पर 36 दोपहिया वाहनों को बरामद किया गया। आरोपी दीपक बारले वाहन चोरी में, राकेश बाघ चोरी और तोषण उर्फ लस्सु हत्या के मामले में जेल जा चुका है।
अपचारी बालक भी है शामिल
इसी प्रकार एसीसीयू और डीडी नगर पुलिस ने चोरी की बाइक बेचने की कोशिश में लगे भोजराज तांडी और गोरेख मुगरी को पकड़ा। पूछताछ में दोनों ने अपने नाबालिग साथी से मिलकर अलग-अलग जगह से 14 बाइक चोरी करना स्वीकार किया है। चोरी की मोटरसाइकिलों को मौदहापारा निवासी गोपाल बाघ को बेच दिया था। पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर 14 मोटरसाइकिल बरामद किया है। गोपाल को भी अरेस्ट कर लिया है। (CG Raipur News) भोजराज पहले भी चोरी के मामले में जेल जा चुका है। दोनों मामले में एसीसीयू और पुलिस की टीम ने नाबालिग सहित 12 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
पुरानी गाडिय़ों को बनाते थे निशाना
दोनों गिरोह पुरानी दोपहिया वाहनों को ज्यादा निशाना बनाते थे। मास्टर की का इस्तेमाल करके लॉक खोल लेते थे। इसके बाद बाइक ले जाते थे। बेचते समय उसका नंबर प्लेट बदल देते थे। ग्रामीण इलाके में बेचने के कारण कोई दस्तावेजों की मांग भी नहीं करता थे।
Published on:
06 Jun 2023 04:39 pm
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