
Nehru Medical College : नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने नॉन प्रेक्टिस अलाउंस (एनपीए) नहीं लेने वाले यानी प्राइवेट प्रेक्टिस करने वाले डॉक्टरों की सख्त निगरानी करने को कहा है। डीन ने सभी एचओडी को पत्र लिखकर यह फरमान जारी किया है। हालांकि आंबेडकर अस्पताल के कुछ एचओडी एनपीए लेकर भी प्राइवेट प्रेक्टिस कर रहे हैं। ये भला अपने मातहत डॉक्टरों की निगरानी कैसे करेंगे? वहीं एनपीए नहीं लेकर प्राइवेट प्रेक्टिस करने वाले डॉक्टरों ने सवाल उठाए हैं कि जो एनपीए लेकर भी प्रेक्टिस कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाती?
डीन डॉ. तृप्ति नागरिया ने सभी एचओडी को शासन के एनपीए संबंधी आदेश का पालन कराने को कहा है। पत्रिका ने 1 मार्च के अंक में एनपीए संबंधी समाचार प्रकाशित किया था। इसके बाद कॉलेज व अस्पताल के डॉक्टरों में हड़कंप है। कई डॉक्टरों ने फोन कर बताया कि एनपीए के नियमों का पालन सभी से कराएं। एकतरफा पालन करने पर विवाद जैसी स्थिति बन सकती है। इसमें सबसे ज्यादा आपत्ति उन डॉक्टरों ने की है, जो एनपीए नहीं लेकर प्रेक्टिस कर रहे हैं।
उनका कहना है कि जो तगड़ा एनपीए लेकर भी प्रेक्टिस कर रहे हैं, उनकी निगरानी कौन करेगा? यानी कार्रवाई कब होगी? वे तो सीधे शासन के खजाने में सेंध लगा रहे हैं। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि 2018 में स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारीक ने 18 बिंदुओं पर प्राइवेट प्रेक्टिस संबंधी दिशा-निर्देश जारी किया था। इसमें ड्यूटी के दिनों में अधिकतम 3 घंटे व छुट्टी के दिनों में 5 घंटे प्रेक्टिस करने की छूट है। साथ ही दूसरे प्राइवेट अस्पताल या क्लीनिक में प्रेक्टिस करने पर पाबंदी है। इस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का नियम है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन ने यह गाइडलाइन जारी की थी।
अगले दिन लौटते हैं डॉक्टर
पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि कुछ डॉक्टर 3 या 5 घंटे नहीं, बल्कि अस्पताल से दोपहर 12 या 2 बजे जाने के बाद अगले दिन ही लौटते हैं। यानी अस्पताल के बाद उनका पूरा समय प्राइवेट प्रेक्टिस के लिए होताहै। इस पर कोई लगाम लगाने वाला नहीं है। जिन एचओडी को डॉक्टरों की निगरानी करने को कहा गया है, वे खुद प्राइवेट प्रेक्टिस करते हैं। खास बात ये है कि डॉक्टर शाम को वार्डों का राउंड तक नहीं ले रहे हैं। जबकि इस संबंध में कई आदेश पहले ही निकाला जा चुका है। डॉक्टरों को ओपीडी खत्म करने के बाद शाम या रात में वार्ड का राउंड लेना है। उन्हें देखना है कि उनके मरीजों की हालत क्या है? ज्यादातर डॉक्टर पीजी स्टूडेंट यानी जूनियर डॉक्टरों को मरीजों का फालोअप लेने के लिए निर्देशित करते हैं।
एनपीए लेने वाले डॉक्टरों के सवाल
- जो एनपीए लेकर प्राइवेट प्रेक्टिस करते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं?
- जब प्राइवेट प्रेक्टिस की छूट शासन ने दी है तो एनपीए क्यों लिया जा रहा है?
- क्यों न एनपीए न लेकर शासन की तय सीमा में प्राइवेट प्रेक्टिस किया जाए।
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प्राइवेट प्रेक्टिस के मुख्य बिंदु
- प्रतिदिन 3 घंटे व अवकाश के दिनों में 5 घंटे से ज्यादा प्राइवेट प्रेक्टिस नहीं कर सकते।
- ड्यूटी ऑवर के बाद निजी प्रेक्टिस की छूट। डॉक्टरों के खुद के क्लीनिक व चेंबर हो।
- दूसरे अस्पताल या पॉलीक्लीनिक में प्रेक्टिस करने पर कार्रवाई करने का प्रावधान।
- प्राइवेट प्रेक्टिस के लिए डीन को लिखित आवेदन देना होगा। ड्यूटी के दौरान गायब रहने पर कार्रवाई।
- आपात स्थिति में उन्हें कभी भी अस्पताल आना होगा। ऐसा करने से मना नहीं किया जा सकता।
- अस्पताल से अपने प्रेक्टिस स्थल पर बुलाने पर प्रतिबंध। ज्यादा फीस लेने पर कार्रवाई।
- डायरी का मेंटेनेंस कि कितने मरीजों की कौन-कौनसी बीमारी का इलाज किया। रसीद देना अनिवार्य।
- क्लीनिक व निजी अस्पताल में उपस्थित होने का समय और शुल्क की जानकारी अनिवार्य।
- प्रशासनिक पद पर होने पर निजी प्रेक्टिस करने की अनुमति नहीं। जैसे डीएमई, डीन व अधीक्षक।
Published on:
03 Mar 2024 10:30 am
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