
रायपुर के वीआईपी रोड स्थित होटल में पत्रिका से बात करते हुए सुनील विश्वकर्मा।
राम जन्म भूमि ट्रस्ट से मुझे कॉल आई कि पांच वर्ष के भगवान राम का स्केच बनाना है, जिसमें चेहरे पर मुस्कुराहट हो। यह चुनौतीपूर्ण था क्योंकि भगवान कृष्ण के बहुत सारे बाल रूप देखने मिलते हैं, लेकिन राम के नहीं। चित्र भेजने के बाद दूसरे दिन फोन आया कि कमेटी ने आपका बनाया स्केच पसंद किया है। जबकि देशभर से 85 अन्य चित्रकारों से स्केच मंगवाए थे। कुछ सुधार मुझे बताए गए जैसे तरकश और जनेऊ नहीं बनाने थे। करेक्शन के साथ मैं फिर वहां गया। मेरे अलावा दो और चित्रकार स्केच लेकर पहुंचे थे। यह बताया रामलला का स्केच बनाने वाले सुनील विश्वकर्मा ने। वे कहते हैं कि मैं बचपन से ही रामजी के चित्र बनाया करता था, आज वे ही मेरी पहचान बन गए हैं।
सोचने की प्रक्रिया में लगे 15-20 दिन
चित्र बनाने में तो एक से दो घंटे लगते हैं, लेकिन उसके सोचने की प्रक्रिया में मुझे 15 से 20 दिन का समय लगा। पहला ही स्केच चयन कमेटी को पसंद आया। त्रुटि सुधारने के लिए दो-तीन बार स्केच बनाना पड़ा।
चीन से किया एडवांस पेंटिंग कोर्स
काशी हिंदू विश्वविद्यालय से मैंने फाइन आर्ट में बैचलर डिग्री की। दो साल चीन से एडवांस पेंटिंग का कोर्स किया। आगरा यूनिवर्सिटी से एमफिल किया और अभी मैं काशी विद्यापीठ में ललिता कला विभाग में मैं एचओडी के पद पर कार्यरत हूं।
तब तक किसी ने याद नहीं किया
विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए मैंने लगभग 25 मूर्तियों के लिए चित्र बनाया। उज्जैन में जो मूर्तियां लग रही हैं, उसके सारे चित्र मैं ही बना रहा हूं, लेकिन कभी भी लोगों ने इसके लिए मुझे याद नहीं किया। सौभाग्य से राम लला के चित्र बनाने का अवसर मुझे मिला, जिसने मुझे चित्रकार के रूप में बड़ी पहचान दिलाई। एक ही कृति जीवन में ऐसी होती है जो समाज में व्यक्ति को प्रेम दिलाती है।
Published on:
10 Mar 2024 11:58 pm
बड़ी खबरें
View Allरायपुर
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
