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कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों में दिख सकते हैं ये लक्षण, जानें कैसे करें देखरेख और इलाज

कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Coronavirus) की आशंका ने परेशानियां बढ़ा दी हैं, क्योंकि ये बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार ने बचाव व उपचार से संबंधित गाइडलाइन जारी कर दी है।

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कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों में कोरोना के दिख सकते हैं ये लक्षण, जानें कैसे करें देखरेख और इलाज

रायपुर.कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Coronavirus) की आशंका ने परेशानियां बढ़ा दी हैं, क्योंकि ये बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार ने बचाव व उपचार से संबंधित गाइडलाइन जारी कर दी है। इसके मुताबिक ऑक्सीजन लेवल 90 प्रतिशत से कम होने पर बच्चों को अस्पताल में भर्ती करवाना अनिवार्य होगा।

लक्षणविहीन और हल्के लक्षण वाले संक्रमित बच्चों का इलाज होम आइसोलेशन में होगा। सबसे अहम कि हल्के या कम लक्षण वाले संक्रमित बच्चों में स्टेरॉयड व रेमडेसिविर जैसे इंजेक्शन और फेविपिरविर जैसी दवाएं इस्तेमाल में नहीं लाई जाएंगी, ये प्रतिबंधित हैं। सिर्फ गंभीर बच्चों को डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ये दवा दी जाएगी।

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'पत्रिका' ने पहले ही बताया कि छत्तीसगढ़ में पहली और दूसरी लहर में कुल संक्रमित रोगियों में 7-8 प्रतिशत बच्चे थे। अब आवश्यकता है इन्हें संक्रमण से बचाने की। ऑक्सीजन लेवल 90 से कम आता है उन्हें गंभीर निमोनिया, एक्यूट रिसपाइटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम, सैप्टिक शॉक, मल्टी ऑर्गन डिस्फंक्शन सिंड्रोम जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए ऑक्सीजन लेवल पर बहुत ध्यान दें।

छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग के कोरोना कोर कमेटी के सदस्य डॉ. आर.के. पंडा ने कहा, पहली और दूसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने की दर लगभग बराबर रही है। सतर्कता बरतें। लक्षण पहचानें। बच्चों को एंटीवायरल ड्रग नहीं देना है। सिर्फ सिम्प्टैमेटिक ट्रीटमेंट देना है।

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आपके मन में उठने वाले सारे सवालों के जवाब (केंद्र सरकार की गाइडलाइन के आधार पर)

सवाल- हम कैसे पहचानें कि बच्चा कोरोना संक्रमित है, क्योंकि कोरोना तो लक्षणविहीन भी होता है?
जवाब- ज्यादातर बच्चे लक्षणविहीन या हल्के लक्षण वाले होंगे। उनमें बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, थकावट, सूंघने और स्वाद की क्षमता में कमी आना, नाक बहना, मांसपेशियों में तकलीफ, गले में खराश जैसे लक्षण होंगे। कुछ बच्चों में दस्त आना, उल्टी होना, पेट दर्द या आंत संबंधित शिकायत हो सकती है। कुछ में मल्टी सिस्टम इंफलामेट्री सिंड्रोम होगा। ऐसे बच्चों को बुखार 38 सेंटीग्रेड से अधिक होगा। इन बच्चों में खांसी, नाक बहना व गले में खराश जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।

सवाल- होम आइसोलेशन में रखकर किस प्रकार ध्यान रखा जाए?
जवाब- बुखार आने पर डॉक्टर की सलाह पर पैरासिटामोल 10 से 15 एमजी, बच्चे के वजन के हिसाब से 4 से 6 घंटे में दिया जा सकता है। बड़े या किशोरों में कफ आने पर गरम पानी के गरारे करवाएं। आप उन्हें तरल पदार्थों का सेवन करवाएं। किसी भी प्रकार के एंटीबॉयोटिक नहीं देना है।

सवाल- माता-पिता होने के नाते हमें किस प्रकार से अपने बच्चों का ध्यान रखना चाहिए?
जवाब- दिन में 2-3 बार ऑक्सीजन लेवल की जांच करें। सीने में समस्या, शरीर का नीलापन, अत्याधिक ठंड लगना, मूत्र की मात्रा, तरल पदार्थ का सेवन, गतिविधियां छोटे बच्चों में। इन सभी एक दैनिक चार्ट बना लें। बदलाव होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।

सवाल- कोरोना जांच से पहले किसी अन्य टेस्ट की आवश्यकता है?
जवाब- अगर, किसी भी प्रकार से रोग से ग्रस्त नहीं है तो किसी अन्य लैब टेस्ट की आवश्यकता नहीं है।

सवाल- खानपान का किस प्रकार ध्यान रखें?
जवाब- अगर, बच्चा स्तनपान कर रहा है तो यह सबसे बेहतर है। अगर, नहीं कर रहा है तो प्रोत्साहित करें। फ्लूएड थैरेपी शुरू की जा सकती है।

इन दवाओं की कोई जरूरत नहीं- गाइडलाइन के मुताबिक वर्तमान में जो दवाइयां चलने में हैं, वे बच्चों को नहीं दी जानी है। जैसे टोसिलिजुमैब, इंटरफेरोन बी1ए, डेक्सामेथासोन, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन, फेविपिरविर, लोपिनविर, रिटोनिविर, रेमडेसिविर समेय अन्य सभी।