
छत्तीसगढ़ में हाथियों व मानव के बीच द्वंद्व थमने का नाम नहीं ले रहा है। पांच जिलों में इन हाथियों ने सबसे ज्यादा जन-धन की हानि की है। 6 वर्ष में इन प्रभावित जिलों में 42 से ज्यादा जानें जा चुकी है और हजारों एकड़ फसल बर्बाद कर चुके हैं। दो दिन पहले ही चंदा हाथी के दल ने दो युवकों को अपना शिकार बनाया है। कांकेर जिले के ग्राम सिलतारा डूबान में चनागांव से दो युवक कबड्डी देखने गए थे, रात के समय जब वापस आ रहे थे तब दोनों युवकों को हाथी ने कुचल दिया। मौके पर एक युवक की मृत्यु हो गई, जबकि दूसरे युवक की रीढ़ की हड्डी टूट गई है।
प्रदेश के महासमुन्द जिले में शहर हो या गांव, चंदा हाथी का दल बालोद जाने के बाद अभी भी 3-4 हाथियों की उपस्थिति से रहवासियों चेहरे में हमेशा चिंता बढ़ी है। हमेशा धान बुआई व कटाई के समय महासमुंद जिले में हाथियों का उत्पात बढ़ जाता है, उन्हें जंगल में पर्याप्त भोजन नहीं मिलने के कारण हाथियों का दल जंगल से गांवों के खेत व बस्तियों में आवाजाही बढ़ जाती है। हाथी किसानों के खेत एवं खलिहानों में आकर फसल खा जाते है। महासमुंद जिले में ही अब तक वन्य प्राणी (हाथी, जंगली शूगर ) द्वारा हानि पहुंचाने पर 4 करोड़ 94 लाख 82 हजार 499 रूपए की क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जा चुका है, जिसमें 2016 से 2018 तक 15 लोगों की मौत पर 60 लाख रुपए मुआवजा वहीं 2019 से अब तक 14 लोगों की मौत पर 84 लाख रुपए दिया गया है।
महासमुंद से निकलकर बालोद में डेरा
महासमुंद जिले में जंगली हाथियों का दल ने पर्याप्त भोजन नहीं मिलने के कारण गरियाबंद, धमतरी के रास्ते अभी बालोद जिले में डेरा जमाया है। 22 हाथियों का दल जिसका मुखिया चंदा नाम की मादा हाथी है। ये हाथी के दल ने सबसे पहले तो महानदी को पार करके आरंग, अमेठी, गुल्लू , समोदा मंदिर हसौद के नारा व राजधानी के चंद्रखुरी की तरफ अपने रहने के स्थान सुरक्षित करने की कोशिश किया, लेकिन इन क्षेत्रों में लोगों के आवाजाही के कारण सबसे पहले माहनदी के किनारे चलते हुए गरियाबंद जिले में प्रवेश कर धमतरी व अब बालोद जिले में अपना डेरा जमा चुका है। चंदा के दल ने प्रदेश के चारों जिले में जान माल का भारी नुकसान तो किया है, लेकिन इस दल में आधा दर्जन से ज्यादा हाथियों की मौत भी हुई है।
धमतरी, बालोद व गरियाबंद में धमक
चंदा हाथी के दल ने धमतरी जिले में आज हुए मौत के बाद 6 लोगों की गरियाबंद में 1 और बालोद में करीब 5 लोगों की मौत हो चुकी है।
इतना मिलता है मुआवजा
पशु धन हानि होने पर प्रभावित किसान को 30 हजार रुपए मुआवजा दिया जाता है। वन्य प्राणी के हमले से जनहानि (मृत्यु) होने पर पहले 4 लाख रुपए दिया जाता था, लेकिन अब 6 लाख रुपए मुआवजा दिया जाता है। वहीं वन्य प्राणियों के हमले से मनुष्य के स्थाई रूप से अपंग होने पर 2 लाख रुपए मुआवजा दिया जा रहा है। वहीं घायल होने पर इलाज के लिए 59 हजार 100 रुपए की मदद दी जाती है।
कार्यशाला से करते हैं जागरुक
वन विभाग भी गंभीर घटनाओं को टालने के लिए पूरी तरह से तैनात नजर आते है। जंगली हाथियों के अचानक हमले से हुई मौतों पर वन मण्डल ने हाथी मानव द्वंद प्रबंधन कार्यशाला भी करती है। वन विभाग द्वारा हाथी प्रभावित इलाके के ग्रामीणों को जागरूक करने के समय-समय पर अधिकारी-कर्मचारी की कार्यशाला भी आयोजित करता आया है।
Published on:
01 Oct 2022 08:03 pm
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