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छग में हाथियों की संख्या सबसे कम,  इनके हमले से मौत की संख्या सबसे ज्यादा, इस वजह से हो रही मौत

देश के हाथी प्रभावित 10 बड़े राज्यों में सबसे कम हाथी छत्तीसगढ़ में

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छग में हाथियों की संख्या सबसे कम,  इनके हमले से मौत की संख्या सबसे ज्यादा, इस वजह से हो रही मौत

छग में हाथियों की संख्या सबसे कम,  इनके हमले से मौत की संख्या सबसे ज्यादा, इस वजह से हो रही मौत

कोरबा. देश के हाथी प्रभावित 10 बड़े राज्यों में सबसे कम हाथी छत्तीसगढ़ में है। लेकिन ९ राज्यों में हाथियों की संख्या के तुलना में गजराजों से जनहानि सबसे अधिक छत्तीसगढ़ में हुई है। छत्तीसगढ़ में आज की स्थिति में 247 हाथी हैं। बीते तीन वर्षों में इन हाथियों ने 200 लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। छत्तीसगढ़ की तुलना में कनार्टक, केरल, असम, तमिलनाडु, उत्तराखंड में कई गुना अधिक हाथी हैं। कनार्टक में छह हजार से अधिक हाथी हैं, लेकिन हाथियों से जनहानि तीन वर्षों में सिर्फ 69 लोगों की मौत हुई। अन्य राज्यों में भी हाथियों की संख्या 24 गुना अधिक है, लेकिन हाथी और मानव के बीच द्वंद की संख्या बेहद कम है। छत्तीसगढ़ में हाथियों की संख्या सबसे कम होने के बावजूद जिस तरह से हादसे बढ़ रहे हैं, उसे लेकर सवाल उठने लगे हैं। हाथियों की संख्या का डंग पद्धति से किए गए गणना की रिपोर्ट केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी की गई है।
छत्तीसगढ़ में हाथी 11 से अब 17 वनमंडल में मचा रहे उत्पात: चार साल पहले तक छत्तीसगढ़ में हाथियों का उत्पात 10 से 11 वनमंडल तक सीमित था। लेकिन अब ये बढक़र 17 वनमंडल तक जा पहुंचा है। दायरा बढऩे के साथ अब मानवद्वंद की संख्या भी बढऩे लगी है। पहले जब हाथियों का दायरा 10 वनमंडल में था तब नुकसान कम हो रहा था। अब नुकसान प्रकरण भी बढऩे लगे हैं।
हर साल नए उपाय फिर भी नुकसान कम नहीं: हाथी गांव की ओर न आए इसके लिए हाथी विकर्षण बेरिकेड लगाया जाता है, ताकि हाथी गांव के भीतर प्रवेश न करें। प्रदेश में कुल 53 हाथी मित्र दल का गठन किया गया है। सजग साफ्टवेयर बनाया गया है, हाथी के करीब आते ही गांव में अलर्ट सिस्टम। प्रदेश के नौ ज्यादा प्रभावित वनमंडलों में चार निजी संस्थाओं के माध्यम से अवैध हुकिंग व खुले करंट तारों को ठीक कराया जा रहा है।

हाथियों की मौत भी सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में: एक तरफ जहां हाथियों से जनहानि भी सबसे अधिक छत्तीसगढ़ में हो रही है तो वहीं प्रदेश के जंगल अब हाथियों के लिए महफूज नहीं रह गए हैं। बीते तीन साल में 55 हाथियों की मौत हो चुकी है। इसमें 14 हाथियों की करंट से और 6 हाथियों को शिकारियों द्वारा फं साकर मारा गया है। अन्य प्रदेश असम में 37, ओडिसा में 30, कर्नाटक में 22, तमिलनाडु में 29 हाथियों की ही मौत हुई है।

बीते तीन साल में जानमाल का नुकसान : 53 करोड़ का बंटा मुआवजा बीते तीन साल में हाथियों ने जानमाल की संख्या भी बेहद बढ़ी है। इन तीन वर्षों में हाथियों की वजह से हुए नुकसान पर कुल 58581 प्रकरण बनाए गए। इसमें वन विभाग ने साढ़े 53 करोड़ का मुआवजा बांटा गया। सबसे अधिक मुआवजा प्रकरण कोरबा, सरगुजा, धरमजयगढ़, जशपुर, कटघोरा, महासमुंद और गरियाबंद में बने। पीसीसीएफ सुधीर अग्रवाल ने बताया कि हाथियों के हमले के मामले में कमी आ रही है, कई महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में इसका परिणाम दिखने लगेगा।