
उदंती सीतानदी रिमोट सेंसिंग एवं ड्रोन डाटा विजुअलाइजेशन पोर्टल लगभग तैयार
रायपुर @ वन विभाग ने गूगल के साथ नई तकनीकी कदम बढ़ाते हुए एक रिमोट सेंसिंग प्लेटफार्म शुरू किया है, जिसका उपयोग सेटेलाइट इमेजरी से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में बदलावों की मॉनिटरिंग करने में किया जा सकता है।
इस प्लेटफार्म के जरिए पूरे विश्व की सेटेलाइट इमेजरी को प्रति 5 दिवस (सेंटिनल 2 सेटेलाइट) या 15 दिवस (लैंडसैट 8 सेटेलाइट) के अंतराल में उपलब्ध किया जा रहा है। अभी उदंती सीतानदी रिमोट सेंसिंग एवं ड्रोन डाटा विज़ुअलाइज़ेशन पोर्टल उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व व टाइगर कॉरिडोर के लिए पोर्टल बना रहा है। शासन से अनुमति एवं सहमति मिलने पर पूरे प्रदेश के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।
डीएफओ वरुण जैन ने बताया कि ड्रोन पोर्टल ऐप लगभग बनकर तैयार है, इस ऐप के माध्यम से उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व में सर्वे एवं मैपिंग ड्रोन के उपयोग से वृक्षारोपण क्षेत्रो, तालाब निर्माण, भू जल संरक्षण कार्यो को मैपिंग कर पोर्टल पर डाला जा रहा है, जिससे इन कार्यो की प्रति वर्ष ड्रोन से मैपिंग कर इनके परफॉरमेंस को देखा जा सके। पौधों का विकास , पौधों की गिनती , आस पास के वन क्षेत्रो पर भू-जल संरक्षण कार्यो का प्रभाव को आम आदमी मोबाइल या डेस्कटॉप पर देख सकेंगे। ड्रोन मैपिंग क्षेत्रो को 5 सेंटीमीटर लेवल तक ज़ूम करके एचडी इमेज देख सकते है।
एआई का उपयोग
इस पोर्टल में एआई का उपयोग करके वन आवरण में हो रहे बदलाव, बांध, तालाब वन अग्नि मामलों के लिए वास्तविक प्रभावित रकबों का मापन कर सकता है। इसमें जंगल को 2010 को बेस इयर मानते हुए हर वर्ष की वन आवरण में हो रही कमी या बढ़ोतरी को चिन्हांकित करने की क्षमता शामिल है। इससे पहले हमने हाथियों पर निगरानी करने के लिए एआई के माध्यम से ऐप तैयार किया है, और कर्नाटक में हाथियों पर नजर रखने के हमारे अधिकारियों से मद्द लेकर ऐप बनाया जा रहा है।
नक्सलियों व तस्करी पर नजर
उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व का सीमा ओडिशा से लगा हुआ है,जिसके यहा पोर्टल का उपयोग कारगर हो सकता है। इस क्षेत्र में नक्सली मौजूदगी व वन कर्मचारियों की कमी के चलते अतिक्रमण एवं तस्करी के मामले ज्यादा होता है। ऐसे में सॅटॅलाइट बेस्ड मोनिटरिंग के ज़रिये हॉट स्पॉट्स को चिन्हांकित किया जा रहा है। उच्च अधिकारी भी रायपुर से वन क्षेत्रो की मोनिटरिंग कर सकेंगे और हॉट स्पॉट क्षेत्रो को चिन्हांकित कर आवश्यक योजना तैयार कर सकेंगे
ऐप से जानकारी मिलते ही समाधान
गर्मी के समय तालाब एवं जल स्तोत्र के सूखने वाले स्थानों पर शिकार की संभावना बढ़ जाती है, वन्यप्राणी के पास सीमित जल स्त्रोत्र ही रह जाते है। जिस पर शिकारियों की नज़र रहती है.ऐसे सूखते जल स्तोत्र को गूगल अर्थ इंजन के माध्यम से चिन्हांकित किया गया है , और गश्ती बढ़ाकर तुरंत समस्या का निराकरण किया जाएगा।
कुल लागत 2.85 लाख रुपय
डीएफओं वरुण जैन ने बताया कि गूगल अर्थ इंजन गूगल द्वारा उपलब्ध करवाया एक ताकतवर पोर्टल है, जिस पर 40 वर्षो की सॅटॅलाइट इमेजरी मुफ्त में उपलब्ध है। जिसको विभिन्न देशो द्वारा वानिकी, जल संसाधन एवं पर्यावरण बदलाव के क्षेत्रो में एवं कृषि कार्यो के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है। रिसर्च के लिए यह पोर्टल हाल में मुफ्त में उपलब्ध है । इस पोर्टल की कुल लागत - 2.85 लाख रुपया है।
Published on:
28 Jan 2024 12:09 pm
बड़ी खबरें
View Allरायपुर
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
