
सूखे में भी खेतों में लहलहाएगी विक्रम धान की फसल, कम पानी में आसानी से तैयार हो जाएगी फसल
रायपुर. प्रदेश में सूखा पडऩे के बाद भी अब धान की फसल लहलहाएगी। इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय के वैज्ञानिकों ने मुंबई स्थित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की मदद से धान के बीज विक्रम को तैयार किया है। विक्रम अन्य बीजों की अपेक्षा तेज हवा सहने में dसक्षम होगा। कम समय में पकेगा और किसानों की लागत को भी कम करेगा। विक्रम को अब राज्य वैरायटी विमोचन समिति के अनुमोदन का इंतजार है।
इस बीज में किया वैज्ञानिकों ने प्रयोग
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया कि 1970 में दुबराज के बाद प्रदेशवासियों की पहली पसंद सफरी-१७ था। सफरी प्रदेश के खेतों से इसलिए दूर हो गया, क्योंकि इसके पौधे ऊंचे होते थे, और तेज हवा का झोका नहीं सह पाते थे। पौधों की ऊंचाई ज्यादा होने से इसे ज्यादा पानी की आवश्यकता होती थी, और यह पकने में भी ज्यादा समय लेती थी। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इसमे रिसर्च करके, किसानों को इस बीज से होने वाली परेशानी को दूर कर लिया है। वैज्ञानिकों ने पौधों की ऊंचाई २५ फीसदी कम कर दी है। परिपक्वता अवधि में भी १८ प्रतिशत की कमी और उत्पादन क्षमता में १४ प्रतिशत का इजाफा होगा। सफरी-१७ यानि विक्रम अब ५५ से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहेगा।
2015 से शुरू किया था रिसर्च
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग के चीफ साइंटिस्ट डॉ दीपक शर्मा के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम ने सन 2015 में इस पर रिसर्च करना शुरू किया था। चीफ साइंटिस्ट की टीम ने इसे भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई भेजा गया। 2015 में अनुसंधान शुरू हुआ। केंद्र में गामा रेडिएशन 300 जीवाय डोज का प्रयोग करके 3000 विकसित बीज तैयार किए गए। जिसमें 30,000 नए बीज विकसित मिले। 2016 से फिर से परीक्षण किया गया। प्रायोगिक क्षेत्र में लाने के बाद इन 30 हजार पौधों में एक पौधा बौना, शीघ्र पकने वाला और अधिक उत्पादन देने वाला मिला। इस एक पौधे परीक्षण और संवर्धन राजधानी के अनुसंधान परिक्षेत्र में किया गया। परीक्षण और संवर्धन दोनों सफल रहे। सफलता के बाद राज्य और केंद्र स्तर पर परीक्षण किया गया।
43 स्थानों में हुई विक्रम की जांच
विक्रम का परीक्षण राज्य के रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर, कवर्धा, अंबिकापुर और रायगढ़ के कृषि विज्ञान केंद्रों में किया गया। देशस्तर पर अखिल भारतीय धान सुधार परियोजना के अंतर्गत दूसरा परीक्षण 43 स्थानों पर किया गया है। देश-प्रदेश स्तर पर किए गए परीक्षण में ऊंचाई परिपक्वता अवधि और उत्पादन आशा के अनुरूप मिले।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के चीफ साइंटिस्ट जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग डॉ दीपक शर्मा ने बताया कि सफरी-17 पर रिसर्च किया और उसे अपडेट करके विक्रम नाम दिया है। हम इसे मेगा वैरायटी के रूप में देख रहे हैं क्योंकि विक्रम प्रजाति कम ऊंचाई, लघु अवधि और उच्च उत्पादन क्षमता से युक्त है। सूखा रोधी क्षमता के कम तो है ही साथ ही यह मुरमुरा बनने की उच्च गुणवत्ता भी रखता है। अब इसके बीज विमोचित किए जाने का इंतजार है।
Published on:
21 Dec 2019 06:21 pm
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