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टाइगर रिजर्व अचानकमार के 19 गांवों को तीन महीने में कराया जाएगा खाली, वनमंत्री ने विभागीय अधिकारियों की बैठक ली

locationरायपुरPublished: Apr 25, 2020 04:30:15 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

साथ ही व्यवस्थापन के लिए शेष बचे हुए ग्रामीण क्षेत्रों को शीघ्र ही हटाने कहा। बैठक के दौरान बाघ और राजकीय पशु वनभैंसा की संख्या को बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी ली। बता दें कि इस समय प्रदेश के जंगलों में कुल 19 बाघ और सीतानदी उदंती एवं इंद्रावती टाइगर रिजर्व क्षेत्र में करीब 25 से 35 वनभैंस हैं।

टाइगर रिजर्व अचानकमार के 19 गांवों को तीन महीने में कराया जाएगा खाली, वनमंत्री ने विभागीय अधिकारियों की बैठक ली

टाइगर रिजर्व अचानकमार के 19 गांवों को तीन महीने में कराया जाएगा खाली, वनमंत्री ने विभागीय अधिकारियों की बैठक ली

रायपुर. छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व में आने वाले १९ गांव को १५ जुलाई तक खाली कराया जाएगा। यहां रहने वाले ग्रामीणों का जल्दी ही व्यवस्थापन करने के निर्देश वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने विभागीय अधिकारियों को दिए है। शुक्रवार को उन्होंने अपने निवास कार्यालय में वन विभाग के सचिव सहित वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक ली। इस दौरान बाघों की संख्या को सुरक्षित विचरण क्षेत्र उपलब्ध कराने के लिए टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में स्थित कुल 25 गांवों के व्यवस्थापन कार्य की प्रगति की जानकारी ली।

साथ ही व्यवस्थापन के लिए शेष बचे हुए ग्रामीण क्षेत्रों को शीघ्र ही हटाने कहा। बैठक के दौरान बाघ और राजकीय पशु वनभैंसा की संख्या को बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी ली। बता दें कि इस समय प्रदेश के जंगलों में कुल 19 बाघ और सीतानदी उदंती एवं इंद्रावती टाइगर रिजर्व क्षेत्र में करीब 25 से 35 वनभैंस हैं। बैठक में प्रमुख रूप से वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, अतुल शुक्ला, संजय शुक्ला, कैम्पा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी वी. श्रीनिवास राव, एपीसीसीेफ वाइल्ड लाइफ अरूण पाण्डेय सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

इन गांव का होगा व्यवस्थापन

अचानकमार टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में आने वाले तिलाईडबरा, बिरारपानी तथा छिरहट्टा, अचानकमार, बिन्दावल तथा सारसडोल शामिल हैं। इसके अलावा छपरवा, लमनी, अतरिया-1, रंजकी, सुरही, अतरिया-2, बम्हनी, कटामी, जाकड़बाधा, निवासखार, महामाई, डगनिया और राजक गांव शामिल हैं। वहीं इसके पहले जल्दा, कूबा, बहाऊड़, बांकल, बोकराकछार तथा सांभरधसान का व्यवस्थापन किया जा चुका है। यह सभी गांव को हटाने के पहले ही सारी योजना बना ली गई थी। ग्रामीणों की सहमति के बाद सभी को शिफ्ट करने की कवायद चल रही है।

चिकित्सको को प्रशिक्षण

वन विभाग के 14 चिकित्सकों को निश्चेतना संबंधी प्रशिक्षण देने का कार्य आगामी 15 मई तक पूर्ण करने के लिए निर्देश दिए गए है। ताकि वन्य जीवों द्वारा आंतक मचाने और घायल होने पर उन्हे बेहोश कर उपचार किया जा सके। वहीं जंगलों में विचरण कर रहे हाथियों के रेडियो कॉलरिंग की कराई जा सके।

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