
आपको बतादें कि मुख्यमंत्री से पहले डॉ. रमन सिंह 1999 में भाजपा की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केन्द्रीय राज्य मंत्री थे। लेकिन एक फोन ने डॉ. रमन सिंह की किस्मत बदल दी। आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी।
एेसे हुई थी ताजपोशी
दरअसल वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद वर्ष 2003 में पहली बार छत्तीसगढ़ में चुनाव होने वाले थे। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की स्थिति अजीत जोगी के नेतृत्व में पहले से मजबूत थी, लेकिन भाजपा अंदरूनी बिखराव के दौर से गुजर रही थी।
बीजेपी के तात्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष वैंकेया नायडू के सामने बड़ी उलझन थी कि छत्तीसगढ़ भाजपा का नेतृत्व किसके हाथ सौंपा जाए। क्योंकि दिलीप सिंह जूदेव जैसे दिग्गज नेता और न ही भाजपा के वरिष्ठ सांसद रमेश बैस इस जिम्मेदारी को लेने के लिए तैयार थे। एेसे में वैंकेया नायडू ने डॉ. रमन सिंह पर भरोसा जताया और उन्हें छत्तीसगढ़ भाजपा का नेतृत्व सौंपा।
छत्तीसगढ़ बीजेपी की जिम्मेदारी लेने के बाद रमन सिंह ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वर्ष 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव लड़ा और करिश्माई जीत दर्ज की। भाजपा ने 90 में से 50 सीटों पर जीत दर्ज कर विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाई। इसके बाद रमन सिंह को सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री चुन लिया गया।
तीन पारियों में संभाली कमान
- डॉ. रमन सिंह ने वर्ष 2003 में छत्तीसगढ़ विधानसभा के प्रथम आम चुनाव में जनादेश मिलने के बाद पहली बार सात दिसम्बर 2003 को राजधानी रायपुर के पुलिस परेड मैदान में आयोजित समारोह में हजारों लोगों के बीच शपथ ग्रहण कर मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला था।
- उन्होंने वर्ष 2008 में विधानसभा के दूसरे और वर्ष 2013 में हुए तीसरे आम चुनाव में भारी बहुमत से जनादेश लेकर अपनी सरकार का गठन किया। दूसरी पारी में 12 दिसम्बर 2008 को और तीसरी पारी में भी 12 दिसम्बर 2013 को रमन सिंह ने रायपुर के पुलिस लाइन मैदान में आम जनता के बीच शपथ ग्रहण कर सरकार की बागडोर संभाली।
- उनके तीसरे कार्यकाल के चार वर्ष इस महीने की 12 तारीख को पूर्ण हो रहे हैं। इसे मिलाकर राज्य भर में '14 साल बेमिसाल' के जोशीले नारे के साथ कई आयोजनों की तैयारी की जा रही है।
Updated on:
07 Dec 2017 02:22 pm
Published on:
07 Dec 2017 01:39 pm
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