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सूरज की चमक करा रही मार्च-अप्रैल का अहसास

बारिश के दिनों में पानी को तरस रही फसलें। सेहत पर पड़ रहा मौसम का असर।

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सूरज की चमक करा रही मार्च-अप्रैल का अहसास

सूरज की चमक करा रही मार्च-अप्रैल का अहसास

रायसेन. सामान्य तौर पर भादौ माह बारिश की झड़ी वाला होता है, लेकिन फिलहाल आसमान से बारिश नहीं सूरज से निकली तीखी चूभन लोगों को बैचेन कर रही है। तापमान 34 डिग्री के पास पहुंचा रहा है। पंखों के साथ लोगों को कुलर का सहारा फिर से लेना पड़ रहा है। आलम यह है कि दोपहर में तीखी धूप के चलते लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। मौसम में आए बदलाव का असर स्वास्थ्य पर पड़ा है। जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ी है। वहीं फसलों पर यह धूप मुसीबत बनकर टूट रही है। हाल ये हैं कि बारिश के दिनों में भी फसलें पानी के लिए तरस रही हैं।
बीते एक सप्ताह से तामपमान 30 डिग्री से ऊपर बना हुआ है। मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार को अधिकतम तापमान 33.8 व न्यूनतम 24.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। चुभन वाली गर्मी से लोग बेहाल हैं। पिछले 15 दिनों से आसमान से बादल छंटे हुए हैं और सूरज की तेज तपिश लोगों को बेहाल कर रही है। इसका असर जहां मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहा है वहीं फसलों को भी इससे नुकसान हो रहा है। इसे लेकर किसान चिंतित नजर आ रहे हैं। बारिश न होने की वजह से धान के साथ सोयाबीन की फसल को भी नुकसान पहुंच रहा है। बारिश अंतिम पड़ाव में है और पिछले 15 दिन से आसमान से बारिश की एक बूंद नहीं गिरी। वहीं पिछले वर्ष की तुलना में जिले में इस वर्ष कम बारिश दर्ज की गई है। किसानों के लिए यह सबसे बड़ी चिंता का कारण है। शुरुआती दौर में हुई बारिश के बाद किसानों को अच्छी फसल की आस थी, लेकिन अब जब बारिश का अंतिम दौर है तो इस तरह बारिश की बेरुखी ने किसानों को निराश कर दिया है।
तपिश से बढ़े मरीज
गर्मी व उमस की वजह से लोगों का घर के अदंर रहना दूभर हो रहा है। बाहर तेज धूप सता रही है। लोग मौसमी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। सबसे ज्यादा इसका असर बच्चों में देखने मिल रहा है। बुखार, सर्दी, जुखाम, पेट दर्द के साथ ही उल्टी दस्त से ग्रसित मरीज जिला चिकित्सालय व निजी अस्पतालो में पहुंच रहे हैं।
धान पर ब्लास्ट और फाल्स स्मट का असर
धान के खेतों में दरार पडऩे लगी हंै। पानी नहीं मिलने और तेज धूप के चलते फसल पर विभिन्न रोगों का असर होने लगा है। फसल पर बैक्ीरियल ब्लाइट, फाल्स स्मट, ब्लास्ट रोग, पीला तना छेदक, पत्ती लपेटिक कीट, भूरा फुदका, गंधी जैसे रोग असर कर रहे हैं। जिनकी रोकथाम के लिए कृषि विशेषज्ञ दवाएं सुझा रहे हैं।