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आकाशीय बिजली गिरने से दो साल में 36 लोगों की मौत, फिर भी तडि़त चालक की सुध नहीं

नियमों के तहत 12 मीटर से ऊंची इमारतों में तडित चालक लगवाना अनिवार्य

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आकाशीय बिजली गिरने से दो साल में 36 लोगों की मौत, फिर भी तडि़त चालक की सुध नहीं

रायसेन@शिवलाल यादव की रिपोर्ट...

शहर सहित जिलेभर में जहां ऊंचे मोबाइल टॉवर और बड़ी इमारतें नजर आने लगी हैं। लेकिन जिम्मेदारों द्वारा उनकी सुरक्षा के मापदंडों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आलम है कि पिछले दो सालों में जिलेभर में आकाशीय बिजली गिर जाने से ३६ लोग मौत की नींद सो चुके हैं। बारिश के मौसम ने दस्तक दे दी है। इसके बाद भी टॉवरों, इमारतों के मालिकों ने तडि़त चालक लगवाने की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। न तो बहु मंजिला इमारतों में तडि़त चालक लगाए गए हैं।

पूर्व में लगाए गए मोबाइल टॉवरों और इमारतों में तडि़तों की सुध भी नहीं ली जा रही है। तडित चालक वर्तमान अवस्था में ठीक है या फिर कुछ कमी तो नहीं हो गई है। इनको बारिश पूर्व रिपेयरिंग कराना भी जरूरी है। जिला-प्रशासन की इस लापरवाही, अनदेखी की वजह से आकाशीय कहर मौतों में तब्दील हो सकता है।

ऐतिहासिक इमारतोंं, धरोहरों पर भी तडि़त जरूरी
शहर सहित जिलेभर के ऐतिहासिक पुरा महत्व के स्थलों सहित ऊंची इमारतों में तडि़त लाया जाना जरूरी होता है। लेकिन विश्व धरोहर सांची स्तूपों को छोड़कर एक भी जगह तडि़त चालक नहीं लगाए गए हैं। जिससे ऐतिहासिक महत्व की प्रसिद्ध इमारतों को आकाशीय बिजली से काफी खतरा बना हुआ है। वहीं इन धरोहरोंं के लिए देखने वाले देश विदेश के पर्यटकों पर भी हरदम जान का खतरा बना रहता है।

जबकि ऐतिहासिक रायसेन के किले, भीम बैठिका, श्रीराम छज्जा, रमासिया की रॉक पेंटिंग्स भोजपुर शिव मंदिर, सुनारी सतधारा के बौद्ध स्तूप, मिनी पचमढ़ी सलामतपुर, पिकनिक स्पॉट हलाली डैम के भव्य भवन आदि स्थानों पर तडि़त चालक जिम्मेदारों ने लगाना मुनासिब नहीं समझा है।कभी आकाशीय बिजली की चपेट में आने से इन धरोहरों को नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा सरकारी भवनों पर भी तडि़त चालक नहीं लगे हैं। इसके अतिरिक्त रायसेन शहर सहित जिलेभर के शॉपिंग कॉम्पलेक्स सहित ऊंची इमारतों में भी मकान मालिकों ने तडि़त लगवाना जरूरी नहीं समझा है।यहां भी आकाशीय बिजली कभी कहर ढ़ा सकती है।

जिम्मेदार संस्थाओं, विभाग के पास जानकारी ही नहीं
जिलेभर में कितने मोबाइल टॉवरों और बहुमंजिला भवनों में तडि़त चालक लगाए गए हैं। कितने तडि़त काम कर रहे हैं कितने बेकाम हैं। इसकी सही जानकारी भी जिम्मेदारी विभाग और संस्थाओं के पास नहीं हैं। खासतौर से भवन निर्माण की अनुमति देने वाली नगरपालिकाओं, नगर परिषदों व निर्माण कराने वाले विभागों के जिम्मेदारों को नियमों कापालन कराना होता है। इतना तो दूर विभागों केपास जानकारी तक मौजूद नहीं हैं। नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया के नियमों का भीपाल नहीं किया जा रहा है।

12 मीटर से अधिक ऊचाई वाले भवनों में अनिवार्य
नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया के मुताबिक 12 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाले भवनों में फायर एण्ड लाइफ सेफ्टी के इंतजाम होना अनिवार्य है।इसमें भवनों में भूकंप रोधी निर्माण और मानकों के अनुसार आकाशीय बिजली से बचने तडि़त चालक का इंतजाम भी जरूरी है।

क्या है तड़ित चालक....
तड़ित चालक एक धातु की चालक छड़ होती है। तड़ित चालक का ऊपरी सिरा नुकीला होता है। इसे मोबाइल टॉवरों, इमारतोंं के सबसे ऊपरी हिस्से में लगाया जाता है। इसे तार से जोड़कर सीधे नीचे धरती में कॉपर प्लेट के साथ गाड़ दिया जाता है। तड़ित चालक आकाशीय बिजली से भवनों व आसपास क्षेत्र को सुरक्षित रखता है।

आकाशीय बिजली से येे सावधानी रखें
बादलों के गरजने व आकाशीय बिजली के चमकने के समय घर से बाहर बिल्कुल नहीं निकलें। बिजली पैदा करने वाली मशीनों से दूरी बनाए रखें। मोबाइल पर बातचीत करने से बचें, मोबाइल का स्वीच ऑफ करके रखें। पेड़ व मोबाइल टॉवर के समीप तथा किसी बड़े भवन के नीेचे और खुले मैदानों में जाने से बचें।

नगरपालिका के पास फिलहाल तडि़त चालक को लेकर कोई नियम अथवा गाइड लाइन नहीं है। न ही इमारतों व मोबाइल टॉवरों में लगे तडि़त चालकों का नरगपालिका में रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। किन्तु फिर भी सुरक्षा के लिहाज से लोगों को तड़ित लगवाना चाहिए।लेकिन फिर हमने संबंधितों को पत्र लिखे हैं।
ज्योति सुनेरे, नपा सीएमओ रायसेन