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MP में घातक वायरस निपाह की दस्तक से रहे सावधान, ऐसे रखें अपना ध्यान

MP में का घातक वायरस निपाह की दस्तक से रहे सावधान, ऐसे रखें अपना ध्यान

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nipah virus

nipah virus: एमपी ने घातक वायरस निपाह का हमला, सतर्क रहें

रायसेन। देश के केरल राज्य में निपाह वायरस से फैली बीमारी से अब तक ग्यारह से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसके चलते जिला स्वास्थ्य महकमे ने भी सभी सरकारी एवं निजी अस्पतालों को यह निर्देश जारी कर दिए हैं। मरीजों का इलाज अब निपाह बीमारी को ध्यान में रखकर किया जाए।

जिला स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने भी लोगों में जन जागरूकता फैलाने के लिए गांव कस्बों में संचालित अस्पतालों के डॉक्टरों को भी यह निर्देश जारी किए जा चुके हैं। मरीजों का इलाज करने के दौरान इस बात का पूरा ध्यान दिया जाए तो कहीं निपाह वायरस के मरीज तो नहीं आ रहे हैं। साथ ही लोगों में इस निपाह वायरस की जागरूकता फैलाई जाए।

सिविल सर्जन डॉ.बीबी गुप्ता, आरएमओ डॉ.पीएस ठाकुर और मेडिकल ऑफीसर डॉ.एमएल अहिरवार ने बताया कि लोगों को अब बेहद जागरूक होने की जरूरत है। पक्षियों द्वारा कुतरे कटे फलों को नहीं खाएं। साथ ही चमगादड़, सुअरोंसे दूर रहें। बीमार होने पर तुरंत जिला अस्पताल पहुंचकर इलाज कराएं।

हालांकि फिलहाल रायसेन जिले में इस तरह की कोई बीमारी की सूचना नहीं है। लेकिन कई लोगों को इंदौर सहित अन्य बड़े नगरों में आना जाना पड़ता है। इसीलिए निपाह वायरस रायसेन जिले तक आ सकते हैं। सावधान रहकर इन वायरस से बचा जा सकता है। क्योंकि निपाह वायरस एक संक्रमित वायरस है। जो एक व्यक्ति से दूसरे में आसानी से पहुंच सकता है।

सांस लेने में जलन, बुखार सिरदर्द है लक्षण
24 घंटे में मरीज कोमा में उसे सांस लेने में काफी तकलीफ होती है।तेज बुखार जलन, सिरदर्द, चक्कर आना और बेहोशी और मस्तिष्क में सूजन इस बीमारी के लक्षण हैं। डॉक्टरों के अनुसार यह निपाह नाम के वायरस तेजी से असर करते हैं।

अगर मरीज को तुरंत इलाज नहीं मिला तो वह 48 घंटे के अंदर कोमा में चला जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इस वायरस का अभी तक कोई वैक्सीन विकसित नहीं हुआ है। इलाज के नाम पर मरीजों को इंटेंसिव सपोर्टिव केयर दी जाती है।

जानवरों के संक्रमण से फैलता है निपाह
फ्रूट बैट या सुअरजैसे जानवर इसके वाहक हैं। संक्रमित जानवरों के सीधे संपर्क में आने अथवा इनके संपर्क में आई वस्तुओं के सेवन से निपाह वायसरस का संक्रमण होता है। निपाह वायरस से संपर्क में आने या इनके संपर्क में आई वस्तुओं के सेवन से भी निपाह वायरस का संक्रमण होता है।निपाह वायरस से संक्रमित इंसान भी संक्रमण को आगे बढ़ाता है।

पहले इन जगहों पर फैला था निपाह वायरस
एनआईवी वायरस की पहचान सबसे पहले मलेशिया के कामपुंग सुंगाई निपाह में हुई थी।तब वहां यह बीमारी सूअरों से फैली थी। वर्ष 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में भी वायरस का संक्रमण फैला था। तक सामने आए 66 केसों में से 45 की मौत हुई थी।

निपाह वायरस से बचने के तरीके
सूअरपालक व इसका मांस खाने वालों से दूर रहें। फल जिन्हें पक्षियों ने काट लिया हो। उसे बिल्कुल नहीं खाएं। क्योंकि यह निपाह बीमारी से संक्रमित हो सकता है। चमगादड़ों द्वारा काटे गए फल या उनके पेशाब के सम्पर्क में न आएं।