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700 स्त्रियों के साथ आग में कूदी थी रानी, जानिये क्यों करती थी जौहर

नगरों और गांवों का गौरव दिवस मना रही सरकार जिले के प्रमुख नगरों की प्रमुख तारीखों पर करे गौर

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700 स्त्रियों के साथ आग में कूदी थी रानी, जानिये क्यों करती थी जौहर

700 स्त्रियों के साथ आग में कूदी थी रानी, जानिये क्यों करती थी जौहर

रायसेन. मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में एक ऐसा किला है, जहां रानी दुर्गावति ने ७०० राजपूत स्त्रियों के साथ जौहर किया था, दरअसल राजपूत काल का इतिहास युद्धों और बलिदानों की गाथाओं से भरा है। युद्ध में पराजय होने पर पुरुष रणभूमि में वीरगति को प्राप्त होते थे, वहीं स्त्रियां खुद को अग्निकुंड के हवाले कर जौहर कर लेती हैं। अलाउददीन खिलजी के समय में रावल रतन सिंह की पराजय पर चित्तौड़ की रानी पद्मिनी के जौहर की कहानी भी है। चूंकि प्रदेश में सभी नगर और गांव अपना अपना जन्मदिन और गौरव दिवस मनाने जा रहे हैं, इसके लिए विशेष दिन को चुना जा रहा है, ऐसे में उम्मीद है कि रायसेन जिले में भी ऐसा कोई दिन चुना जाएगा, जो यादगार है, आईये जानते हैं रायसेन जिले का इतिहास।

मंदिर में ताले के बाद चर्चा में आया किला
सोमेश्वर महादेव मंदिर पर ताले डले होने और मंदिर को खोलने की मांग उठने से प्रदेश और देश में एक बार फिर चर्चाओं में आए रायसेन के किले का इतिहास भी उतना ही गौरवशाली है। प्रदेश सरकार गांवों और नगरों का गौरव दिवस मना रही है। रायसेन जिले के नगरों का गौरव दिवस मनाने की भी तैयारी है। प्रशासन नगरों के गौरव की तारीखों की तलाश कर रहा है। ऐसे में रायसेन का गौरव दिवस मनाने के लिए रानी दुर्गावति द्वारा सात सौ राजपूत स्त्रियों के साथ जौहर के दिन से अच्छा गौरव का दिन नहीं हो सकता। किसी भी कीमत पर गुलामी स्वीकार नहीं कर अपना बलिदान देकर इतिहास रचने वाली रानी दुर्गावति और उन सात सौ स्त्रियों के नाम रायसेन का गौरव दिवस किया जा सकता है।

6 मई को किया था जौहर
रानी दुर्गावति द्वारा 06 मई 1932 को रायसेन के किले पर किया गया जौहर, बलिदान की अनूठी मिसाल है। एक महिला के शौर्य और बलिदान के नाम यह दिन हो तो और भी अच्छा होगा। इतिहासकारों के अनुसार रानी दुर्गावति ने लंबी कैद से थके अपने पति राजा शिलादित्य को आक्रमणकारी बहादुरशाह का मुकाबले के लिए प्रेरित कर खुद जौहर अग्नि में कूदकर प्राण त्यागने का निर्णय किया था। अंतत: 10 मई 1932 को राजा शिलादित्य भी दुश्मन से लड़ते हुए बलिदान हो गए थे।

यहां शहीदों के नाम हो सकता है गौरव दिवस
रायसेन के अलावा जिले के नगर बरेली और उदयपुरा का इतिहस भी बलिदान का साक्षी रहा है। देश की आजादी के बाद भी नवाबी शासन की गुलामी को तोडऩे चले विलीनीकरण आंदोलन में बरेली और उदयपुरा के युवाओं की शहादत याद की जाती है। 6 जनवरी 1949 को बरेली नगर में नवाबी शासन का विरोध और विलिनीकरण की आवाज बुलंद कर रहे युवक जुगराज सोनी और रामप्रसाद अहिरवार नवाब की पुलिस के दमन का शिकार हुए थे, जिसमें दोनों युवा शहीद हो गए थे।


ये हुए थे शहीद
इसी तरह 14 जनवरी 1949 को उदयपुरा के पास बोरास नर्मदा तट पर मकर संक्रांति के मेला में विलिनीकरण की मांग को लेकर चल रही एक सभा में नवाब के दरोगा जाफर अली की बंदूक से निकली गोलियों से बोरास निवासी छोटेलाल राजपूत, मंगल ङ्क्षसह राजपूत, राख निवासी धन ङ्क्षसह राजपूत तथा भौआरा निवासी युवा विशाल ङ्क्षसह राजपूत शहीद हुए थे।

उद्योगों से है मंडीदीप की पहचान
जिले का सबसे प्रमुख और देश, विदेश में औद्योगिक नगर के रूप में पहचान बनाने वाले नगर मंडीदीप केवल जिले का ही नहीं बल्कि प्रदेश और देश का गौरव है। इस नगर की औद्योगिक नगर के रूप में स्थापना अक्टूबर 1970 में मानी जाती है। कोई तारीख दर्ज नहीं है, लेकिन इस माह की किसी भी तारीख को मंडीदीप का गौरव दिवस माना जा सकता है।

बारना बांध है बाड़ी की शान

बाड़ी का बारना बांध इस नगर की शान और गौरव है, जिससे रायसेन जिले की तीन तहसीलों के साथ सीहोर जिले की भी एक तहसील के खेतों को पानी मिलता है। इस बांध का शुभारंभ 18 अक्टूबर 1975 को तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी ने किया था। इस दिन से अ'छा बाड़ी के लिए कोई और गौरव दिवस नहीं हो सकता। बाड़ी, बरेली, उदयपुरा क्षेत्र के किसानों की समृद्धि इसी बांध से है। बाड़ी का बारना बांध इस नगर की शान और गौरव है, जिससे रायसेन जिले की तीन तहसीलों के साथ सीहोर जिले की भी एक तहसील के खेतों को पानी मिलता है। इस बांध का शुभारंभ 18 अक्टूबर 1975 को तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी ने किया था। इस दिन से अ'छा बाड़ी के लिए कोई और गौरव दिवस नहीं हो सकता। बाड़ी, बरेली, उदयपुरा क्षेत्र के किसानों की समृद्धि इसी बांध से है।

जिले के नगरों और गांवों का गौरव दिवस मनाने की तैयारी की जा रही है। प्रमुख नगरों के ऐसे प्रमुख दिन तलाश रहे हैं, जिसे गौरव दिवस के रूप में तय कर सकें। जिले के बुद्धिजीवियों, वरिष्ठजनों से इसके लिए मत मांगे जा रहे हैं। जल्द ही गौरव दिवस तय होंगे।
-अरविंद कुमार दुबे, कलेक्टर