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पति के साथ रहने पत्नी मांग रही पैसा, नहीं दिए तो रहने से इंकार

पत्नी पत्नी के बीच चल रहे कई विवाद तो ऐसे ही निपट जाएं, लेकिन कुछ छोटी-छोटी बातों के चलते ही परिवार टूट रहे हैं, ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश में सामने आया, एक पत्नी ने अपने पति के साथ चलने के लिए 1 लाख 20 रुपए मांगे, पति ने देने में असमर्थता दिखाई तो पत्नी ने साथ चलने से मना कर दिया।

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पति के साथ रहने पत्नी मांग रही पैसा, नहीं दिए तो रहने से इंकार

पति के साथ रहने पत्नी मांग रही पैसा, नहीं दिए तो रहने से इंकार

रायसेन. परिवारिक विवाद के कारण मायके में रह रही पत्नी ने अपने पति के सामने शर्त रखी की वह पहले उसके इलाज में लगे 1 लाख 20 हजार रुपए दे, तभी वह ससुराल जाएगी। इतने पैसे देने में पति ने असमर्थता जताई तो पत्नी ने उसके साथ रहने से इंकार कर दिया।

करवा चौथ से पहले पति के साथ रहने से इंकार

पति पत्नी का रिश्ता टूटने से बच जाए और वे फिर एक साथ रहने लगे, इसके लिए करवा चौथ से पहले एक बैठक रखी गई, ताकि उसमें फिर से संबंध जुड़ जाए तो पति-पत्नी फिर से करवा चौथ एक साथ मनाएं, लेकिन पति-पत्नी दोनों ही अपनी जिद पर अड़े रहे, इस कारण एक मामला फिर जुड़ते-जुड़ते रह गया। परिवार परामर्श केंद्र में आए पति-पत्नी ने अपनी अपनी शर्तें रखी, जिसमें पत्नी ने साफ कह दिया कि पहले मुझे 1 लाख 20 हजार रुपए दें, तभी मैं इनके साथ जाऊंगी। जब पति ने पैसे देने में असमर्थता जताई तो पत्नी ने साथ रहने से साफ इंकार कर दिया।


परिवार परामर्श केन्द्र में आए एक पारिवारिक विवाद में मायके में रह रही पत्नी ने बताया कि उसने अपनी बीमारी के इलाज में करीब 1 लाख रुपए खर्च किए हैं। साथ ही 20 हजार रुपए उसके पति से मायके वालों को पहले से लेना है। इस तरह करीब 1 लाख 20 हजार रुपए का कर्ज पति उतारेगा तो ही वह उसके साथ ससुराल जाने को तैयार होगी। मजदूरी करके परिवार पालने वाले पति ने कहा कि इतना पैसा वह किसी कीमत पर नहीं दे सकता, वह अपने परिवार का खर्च उठाए या ससुराल वालों को पैसा दे। इस बात पर पत्नी ने उसके साथ जाने से साफ इंकार कर दिया। दोनों को आगामी कार्रवाई के लिए स्वतंत्र करते हुए प्रकरण को पंजीबद्ध किया गया।


इसी तरह एक अन्य मामले में पति से अडिय़ल रवैए के चलते घर टूट गया। पत्नी ने बताया कि उसकी करीब पांच साल पहले शादी हुई थी, तभी से उसका पति नौकरी के लिए महीनों घर से बाहर रहता है। 6 से 8 महीने में वापस लौटता है। बाहर रहने के दौरान भी न तो कभी फोन पर उसकी खबर लेता है और न ही इतने सालों में कभी उसकी आर्थिक जरूरतों के पैसे भेजे। पति ने बताया कि वह पत्नी को अपने साथ बाहर नहीं ले जा सकता।


वह चाहे तो ससुराल में माता पिता के पास रह सकती है। दोनो ही एक दूसरे की बात मानने तैयार नहीं हुए ऐसे में पत्नी को सलाह दी गई की वह कानूनी रूप से अपना अधिकार लेने के लिए स्वतंत्र है। बैठक में 17 प्रकरण रखे गए, जिसमें से 11 प्रकरणों को निराकृत करते हुए नस्तीबद्ध किया गया। 5 प्रकरणों में पक्षकारों को आगामी तारीख दी गई है।