
प्रशिक्षण में पार्षद पतियों का बोलबाला, विजयी प्रत्याशी नदारद
राजगढ़. नगरीय निकायों में चुनकर आए पार्षदों को एक दिवसीय प्रशिक्षण जिला पंचायत के सभाकक्ष में दिया गया। इस प्रशिक्षण में खासकर उन जनप्रतिनिधियों को शामिल होना था जो अपने क्षेत्र का विकास कर सकें और जनता ने जिन्हें चुनकर परिषद में शामिल करवाया है। मगर प्रशिक्षण के दौरान जिस तरह का नजारा सभाकक्ष में देखा गया वह कहीं ना कहीं बड़ा ही चौंकाने वाला था, क्योंकि 50 प्रतिशत से भी ज्यादा विभिन्न निकायों से चुनकर आईं महिलाओं की संख्या ना के बराबर थीं। पहले प्रशिक्षण में दो और दूसरे प्रशिक्षण में सिर्फ तीन महिलाएं ही प्रशिक्षण में नजर आई। हां, इतना जरूर है कि संबंधित महिला पार्षदों के पति या फिर अन्य रिश्तेदार जरूर बैठकों में और इस प्रशिक्षण में नजर आए। वहीं शासन के निर्देशों को मानें तो उन्हें इस प्रशिक्षण में बैठने की इजाजत नहीं है, क्योंकि परिषद की बैठक हो या फिर नगर पालिका की अन्य बैठकों में उन पार्षदों को ही बैठने की अनुमति दी गई है।
ऐसे में सवाल उठता है कि शासन या सरकार की ओर से प्रशिक्षण का जो उद्देश्य था वह पूरा हुआ है या नहीं। पार्षदों को प्रशिक्षण देने के लिए भी भोपाल से सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एसके त्रिवेदी पहुंचे थे। हालांकि उन्होंने प्रशिक्षण देने की जो अपनी जिम्मेदारी थी उसे पूरा कर दिया। मगर उन्होंने भी बैठक के दौरान किसी से यह नहीं पूछा कि जो महिला पार्षद चुनकर आए हैं इस प्रशिक्षण से दूरी क्यों बनाए हुए हैं। यदि प्रशिक्षण देने के लिए भी प्रतिनिधि महिला पार्षद के रिश्तेदार पहुंच रहे हैं तो अंदाजा लगा सकते हैं कि किसी भी नगर पालिका या नगर परिषद की बैठकों में महिलाओं के स्थान पर उनके रिश्तेदारों का कितना हस्तक्षेप होगा।
अधिकारों और योजना की दी जानकारी
प्रशिक्षण के दौरान मौजूद पार्षदों को यह जानकारी दी गई थी कि वह अपने अधिकारों का किस तरह उपयोग करें। परिषद के क्या अधिकार होते हैं या फिर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पास क्या अधिकार हैं, इसके अलावा नगर परिषद की विभिन्न तरह की योजनाएं जिनका हितग्राहियों को किस तरह से लाभ दिलाया जाता है। ऐसी विभिन्न तरह की जानकारियां इस प्रशिक्षण के दौरान दी गई।
Published on:
29 Jan 2023 05:21 pm
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