
ब्यावरा.बीते कुछ महीने में बढ़ते सुसाइड (आत्महत्या) केसेस के बाद पुलिस ने जागरूकता शुरू की है। इन आत्महत्याओं में ज्यादातार महिलाओं ने अपनी जीवनलीला समाप्त की हैं। इसी को लेकर ब्यावरा पुलिस टीम ने दोबड़ा गांव में महिला जागरूकता शिविर रविवार को लगाया।
एसडीओपी नेहा गौर, थाना प्रभारी राजपालसिंह राठौर और हाल ही में भोपाल में जेल में नियुक्त हुईं साइक्लोजिस्ट मुस्कान वर्मा साथ गईं। उन्होंने महिलाओं की काउंसलिंग की और कहा कि हमेशा सोचें कि ऐसे केसे क्यों होते हैं? जो आत्महत्या करता है या करती है वे निराश हो चुकी होती हैं, उन्हें किसी से उम्मीद नहीं रहती। ऐसी स्थिति से बाहर निकलने के लिए हमें मदद करना चाहिए। जो निराश हो चुके हैं उनकी आशा बनें और जिनकी सभी उम्मीदें टूट चुकी हैं उनकी भी आस बनकर आप आगे आएं, इससे निश्चित ही उन्हें मदद मिलेगी। वर्मा ने बताया कि आत्महत्या करना किसी भी चीज का हल नहीं हो सकता।
बच्चों-परिजनों को समय दें, काउंसलिंग जरूर करें
थाना प्रभारी राजपालसिंह राठौर ने ग्रामीणों, महिलाओं से कहा कि आत्महत्या किसी चीज का हल नहीं हो सकता। ऐसी तमाम परिस्थितियों से बाहर निकलने के लिए परिजनों को जिम्मा उठाना होगा। दोस्त, परिजन, माता-पिता इत्यादि को आगे आकर यह देखना होगा कि घर, परिवार में चल क्या रहा है। साथ ही एक निश्चित समय तय कर लीजिए और परिजनों, बच्चों को समय दीजिए। बीच-बीच में उनकी काउंसलिंग करते रहें, ताकि उन्हें बेहतर माहौल मिले और वे गलत काम करने से बचें। सोशल मीडिया में उलझे रहने वाले लोगों को भी यह सोचना होगा कि इससे दूरी ही तनाव फ्री रख पाएगी।
बच्चों का सोचें, कौन होगा उनका जिम्मेदार?
एसडीओपी बताती हैं कि आम तौर पर हमने देखा है कि कई केसेस में मां अपने बच्चों की परवाह किए बगैर फंदे पर झूल जाती है, जान दे देती हैं लेकिन वे अपने बच्चों का भी नहीं सोचतीं। यानी यह विचार नहीं करतीं कि उनके जाने के बाद छोटे-छोटे बच्चों को कौन मालिक है? कई बार ससुराल वाले केसेस में फंस जाते हैं, उन्हें प्रताडऩा के केसेस में जेल तक हो जाती है। जब वे बाहर आते हैं तो क्या उन बच्चों को एक्सेप्ट करेंगे? ऐसी तमाम बातें हैं जो एक बार निराश होने पर खुद को सोचनीं चाहिए। यह याद होना चाहिए बच्चों का मालिक कौन है, कौन उनकी परवरिश करेगा?
आत्महत्या किसी चीज का हल नहीं
क्रिमिनल केसेस की संख्या बढ़ते हुए देखकर सामने आया कि आत्महत्या के केसेस ज्यादा हैं। ऐसे में हमने जागरूकता के लिए यह किया है। महिलाओं को कहा है कि बच्चों को पढ़ाएं, बालिकाओं, बेटियों को टाइम दें, उनकी काउंसलिंग करें। ऐसा कोई भी गलत कदम उठाने से पहले खुद सोचें और आगे बढ़ें, आत्महत्या किसी चीज का कारण नहीं है।
-नेहा गौर, एसडीओपी और हेड, महिला परामर्श केंद्र, ब्यावरा
Published on:
23 Apr 2023 07:18 pm
बड़ी खबरें
View Allराजगढ़
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
