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जल्द खत्म हुई डॉक्टरों की हड़ताल

सीएमएचओ खुद पहुंच गए थे मरीजों का इलाज करने

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सीएमएचओ खुद पहुंच गए थे मरीजों का इलाज करने

जल्द खत्म हुई डॉक्टरों की हड़ताल

राजगढ़. गुरुवार को डॉक्टर संघ की ओर से 2 घंटे की हड़ताल रखने के बाद शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल का फैसला लिया था। सुबह से ही जिला चिकित्सालय में पदस्थ सभी डॉक्टर एक होकर टेंट के नीचे जमा हो गए, यहां व्यवस्थाएं ना बिगड़े इसके लिए सीएमएचओ दीपक पिप्पल खुद ही ओपीडी में मरीजों की जांच करने के लिए पहुंच गए। डॉ. संघ के अध्यक्ष आरएस माथुर सहित अन्य डॉक्टर अस्पताल परिसर में ही लगाए गए टेंट के नीचे बैठकर अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी कर रहे थे। करीब 11 बजे भोपाल स्तर के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक जैसे ही मुख्यमंत्री और मंत्री विश्वास सारंग के साथ हुई उन्होंने एक टीम का गठन करते हुए मांगों पर उचित निर्णय लेने का आश्वासन दिया, जिसके बाद हड़ताल खत्म हो गई। यह सूचना आते ही जो डॉक्टर हड़ताल पर बैठे हुए थे वह भी ओपीडी में पहुंचे और उन्होंने अपनी सेवाएं शुरू की।

कलेक्टर दीक्षित ने किया निरीक्षण
हड़ताल के दौरान कलेक्टर हर्ष दीक्षित जिला चिकित्सालय पहुंचे। उन्होंने सीएमएचओ और सिविल सर्जन के साथ किए गए निरीक्षण किया। हालांकि सुबह के समय ज्यादा मरीज नहीं थे। फिर भी कलेक्टर ने हड़ताल के दौरान पूरे समय सीएमएचओ को निर्देशित किया कि वह अपनी सेवाएं जारी रखें और मरीजों के उपचार को लेकर मदद करें।

ब्यावरा में डॉक्टर्स का विरोध-प्रदर्शन, रोज दो घंटे आते थे, अब बिल्कुल नहीं आए
ब्यावरा. अपनी विभिन्न मांगों को लेकर मप्र मेडिकल एसोसिएशन की ओर से शुक्रवार को पूर्ण हड़ताल पर गए डॉक्टर्स के कारण अस्पताल में मरीज परेशान हुए। हालांकि ये मरीज रोजाना ही परेशान होते हैं, 16 में से दो या तीन डॉक्टर ही पूरे समय मौजूद रहते हैं। ऐसे में शुक्रवार को प्रदर्शन के दौरान डॉक्टर्स बिल्कुल अस्पताल नहीं पहुंचे, बाकि आम दिनों में भी एक या दो घंटे ही वे अस्पताल पहुंचते हैं। यदि कोई जूनियर डॉक्टर आ गया तो उसकी मॉर्निंग, डे और नाइट सभी ड्यूटियां लग जाती हैं। साथ ही जिनकी ड्यूटियां रूटीन में सर्वाधिक होती है वे ही करते रहते हैं, बाकि की व्यवस्था भगवान भरोसे ही है।

ऐसे में विरोध-प्रदर्शन का ज्यादा असर ब्यावरा में नजर नहीं आया। डॉक्टर्स विरोध में थे, उनका विरोध करना या आना-नहीं आना एक जैसा मरीजों के लिए रहा। हालांकि मरीज परेशान होते रहे। दो आयुष चिकित्सकों के भरोसे सिविल अस्पताल की व्यवस्थाएं थी, जिन्होंने काम संभाला। गंभीर मरीज परेशान होते रहे। बाद में जिला अस्पताल प्रबंधन की और से राजगढ़ से टीम भी भेजी गई थी।