
16वी शताब्दी में भील राजाओं ने की थी मां जालपा की स्थापना अब बन गई क्षेत्र की जगत जननी
Rajgarh BHANU THAKUR ...
राजगढ़। राजगढ़ से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिद्धपीठ मां जालपा देवी JALPA DEVI का मंदिर कभी एक पेड़ के नीचे स्थापित था। लेकिन समय के साथ-साथ परिवर्तन आता गया और आज एक भव्य मंदिर यहां पर बना हुआ है। जिसमें तमाम तरह की सुविधाएं भी हैं यही कारण है कि ना सिर्फ राजगढ़ जिले में बल्कि आसपास के कई जिलों में इस मंदिर से श्रद्धालुओं की आस्था बढ़ती जा रही है। खासकर नवरात्र में चाहे कुवांर की नवरात्रि हो या फिर चेत्र की दोनों ही समय यहां हजारों की संख्या में लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
मां जालपा देवी की स्थापना को लेकर कई तरह की मान्यता है, जिसमें कोई कहता है कि मां जालपा देवी की मूर्ति खुद ही जमीन से प्रकट हुई थी वहीं कुछ लोग यह भी मानते हैं कि जब राजगढ़ को झुंझुनूपुर के नाम से जाना जाता था और यहां पर भील राजाओं का राज हुआ करता था उस समय 16वी शताब्दी के लगभग भील राजाओं ने ही अपनी कुलदेवी के रूप में मां जालपा देवी की स्थापना की थी। लेकिन समय में परिवर्तन आया और राजगढ़ रियासत पर उमठ और परमार वंश का राज आ गया। जिसके बाद राजगढ़ के राजा भी यहां पूजा करने के लिए पहुंचते थे। लेकिन तब तक इतना विस्तार नहीं हुआ था और लगभग 35 साल पहले तक की भी यदि हम बात करते हैं तो यहां मंदिर के नाम पर सिर्फ एक चबूतरा था और एक पेड़ के नीचे मां जालपा देवी विराजमान थी। लेकिन आस्था के इस केंद्र पर जो भी पहुंचता था उसकी मुराद पूरी होती है। एक के बाद एक लोग इस मंदिर से जुड़ते गए, मंदिर से बढ़ती लोगों की आस्था को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा एक ट्रस्ट बना दिया गया। जिसके संरक्षक खुद पदेन कलेक्टर हैं और पूरी कार्यकारिणी ट्रस्ट की बनी हुई है। इसी के आधार पर मंदिर परिसर में विकास होता गया और अब यहां हाईवे से मंदिर तक पहुंचने के लिए सुगम रास्ता है। वहीं मंदिर का बड़ा परिसर संतो को रोकने के लिए आश्रम, भंडारा कराने के लिए बड़ा परिसर और एक बड़ी यज्ञशाला भी यहां बन चुकी है। पानी और अन्य तरह की भी तमाम सुविधाएं अब इस मंदिर के पास मौजूद है।
नेताओं और अधिकारियों की देवी -
इस मंदिर से लोगों की इस तरह की आस्था जुड़ चुकी हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हो या पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उमा भारती इस मंदिर से लगातार जुड़े हुए हैं और हर साल वह यहां किसी ना किसी अवसर पर दर्शन करने के लिए पहुंचते रहते हैं। वहीं जिले की कमान संभालने वाले कोई भी कलेक्टर हो या एसपी राजगढ़ जिले में आने के साथ ही सबसे पहले मां जालपा का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं।
पत्थर रखकर मांगो मुराद होगी पूरी
आप यदि कच्चे मकान में रह रहे हैं या किराए का कोई मकान है तो यहां की मान्यता है कि पहाड़ी पर शुद्ध मन से मां से प्रार्थना करते हुए एक के ऊपर एक कम से कम चार पत्थर रखकर मां जालपा देवी से प्रार्थना करते हुए मुराद मांगी जाती है। यहां इस तरह के हजारों पत्थर रखे हुए हैं, यहां आने वाले श्रद्धालु बताते हैं पत्थर रखने के बाद ही उनके मकान पूरे हुए।
उल्टा सात्विक बनाकर मांगे कोई भी मुराद -
मां जालपा देवी के मंदिर परिसर में जो कोई भी मुराद मांगता है वह यहां उल्टा सातिया बनाकर जाता है और जब मुराद पूरी हो जाती है तो उसी उल्टे सातियों को सीधा कर दिया जाता है। यहां बने सीधे सातियां यह बताते हैं कि हर साल कितने लोगों की मुरादे पूरी हो रही हैं और उल्टे सातिया यह दर्शाते हैं कि लोगों की श्रद्धा और आस्था कितनी मां जालपा देवी से जुड़ रही है।
अब बन चुका बाजार-
पहले यहां प्रसादी को लेकर एक या दो दुकानें हुआ करती थी, लेकिन मंदिर परिसर के साथ ही लोगों की आस्था मां जालपा देवी से जुडऩे के बाद यहां एक प्रसादी और अन्य सामग्री का बाजार भी सज गया है, जो 12 माह यहां चालू रहता है।
भंडारे के लिए है बड़ा परिसर -
मां जालपा देवी पर शुद्ध शाकाहारी खोज रखने के लिए मंदिर परिसर के ऊपर ही तीन सेट लगाया गया है, जबकि एक रसोई और बड़ा सामुदायिक भवन भी यहां मौजूद है। जिसके कारण यहां चाहे विभिन्न संगठनों की बैठ के हो या फि र लोगों की मान्यता पूरी होने के बाद दिए जाने वाले भंडारे आसानी से संपन्न हो जाते हैं।
मदिरा का भी लगता है चढ़ावा
पहले पहाड़ी के ऊपर ही लोगों की मान्यता पूरी होने के बाद बकरे की बली भी हुआ करती थी, इसके साथ ही मां को मदिरा का भोग भी लगाया जाता था, लेकिन अब मदिरा का भोग तो लगता है, लेकिन वली देने की परंपरा पहाड़ी पर बंद कर दी गई है, इसके लिए कोई सा भी यदि भंडारा होता है तो वह पहाड़ी के नीचे ही किया जाता है।
कैसे पहुंचे मंदिर
मां जालपा देवी के मंदिर तक पहुंचने के लिए सीधा रास्ता है, यदि आप भोपाल की तरफ से आते हैं तो राजगढ़ से 6 किलोमीटर की दूरी पर थी कि वह रोड पर स्थित है और राजस्थान से आते हैं तो खिलचीपुर से यह 12 किलोमीटर दूर पड़ता है जयपुर जबलपुर हाईवे पर यह मंदिर मौजूद है।
जो मंदिर तक नही पहुंच सकते वह नीचे ही कर सकते हैं दर्शन- फोटो 0704-05 राजगढ़।
यदि कोई इस रास्ते से निकल रहा है और मंदिर तक नहीं पहुंच पा रहा तो मां जालपा देवी के दर्शन को हाईवे पर ही स्थित मुख्य गेट के पास बने मंदिर पर करा दिए जाते हैं। इतना ही नहीं इस रास्ते से निकलने वाले अधिकांश वाहन चालक यहां रुक कर नीचे मंदिर पर शीश झुका कर आगे बढ़ते हैं। मान्यता है कि कहीं भी आप यात्रा के लिए जा रहे हैं यदि मां जालपा देवी के दर्शन या फि र सिर झुका कर जाते हैं तो किसी भी तरह की अनहोनी नहीं होती।
खास खास
- मंदिर तक पहुंचने के लिए सडक़ के साथ ही सीढिय़ों का रास्ता भी बना हुआ है।
- नवरात्रि के दौरान राजगढ़ से लेकर मंदिर तक पूरी सडक़ पर लाइटिंग की गई है।
- इसके साथ ही सडक़ पर भगवा झंडे भी लगाए गए हैं।
- नवरात्रि में प्रतिदिन रात 8 बजे से होती है महाआरती।
- अष्टमी और नवमी के दिन मां जालपा देवी का होता है स्वर्ण श्रृंगार।
Published on:
07 Apr 2022 06:52 am
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