scriptफीस के नाम पर वसूले जा रहे लाखों रूपये, फिर भी बच्चों को नहीं मिल रहा लाभ | latest hindi news from rajgarh | Patrika News
राजगढ़

फीस के नाम पर वसूले जा रहे लाखों रूपये, फिर भी बच्चों को नहीं मिल रहा लाभ

कई स्कूलों से न तो ब्लाक और जिलास्तरीय प्रतियोगिताओं में शामिल होती है स्कूलों की टीम और न ही बच्चों का हो पाता है चयन

राजगढ़Jul 21, 2018 / 10:17 am

Bhanu Pratap

rajgarh, rajgarh news, rajgarh patrika, patrika news, patrika bhopal, bhopal mp,latest hindi news, fees, school fee, sports, sports authority, kids, child, sports benifits,District level competitions, school team, school, school sports,

फीस के नाम पर वसूले जा रहे लाखों रूपये, फिर भी बच्चों को नहीं मिल रहा लाभ

राजगढ़. शिक्षा के साथ बच्चों के शारीरिक विकास के लिए सरकार लगातार प्रयास करते हुए कई योजनाएं संचालित कर रही है। इसी क्रम में स्कूल में पढ़ाई के साथ एक खेल का पीरियड भी अनिवार्य है। इसी का फायदा उठाकर कई निजी और सरकारी स्कूल क्रीड़ा फीस के नाम पर बच्चों से मोटी रकम वसूलते है। लेकिन अधिकांश स्कूलों में न तो खेल के पीरियड लगते है और न ही उनके बच्चे खेल संबंधी गतिविधियों में भाग लेते है।

ऐसे में सवाल उठता है कि जिस फीस को खेल के नाम पर वसूला जाता है। उसका उपयोग क्या है और ऐसे स्कूलों पर शिक्षा विभाग द्वारा कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती। पिछले दस सालों की बात यदि करे तो शहर में ही संचालित होने वाले अधिकांश स्कूलों के बच्चे किसी भी प्रतियोगिता में भाग नहीं लेते। ऐसे में परिजन द्वारा फीस देने के बावजूद उनके बच्चों की प्रतिभा स्कूल में ही दबकर रह जाती है।

हर साल सरकारी और निजी स्कूल जो हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल की श्रेणी में आते है। वे स्कूल खेल के नाम पर फीस लेते है। सरकारी आंकड़ों की बात करे तो जिले में निजी स्कूल मुश्किल से छह है जो अपनी टीमें भेजते है। यही हाल सरकारी स्कूल का भी है। जहां खेल प्रतिविधियों को लेकर पर्याप्त मैदान है और क्रीड़ा अशंदान के नाम पर फीस भी ली जाती है। लेकिन इस चीज का उपयोग हुए बिना ही कागजों में इसे खत्म कर दिया जाता है। खास बात यह है कि इन स्कूलों की आडिट के दौरान भी इस खर्च पर कोई प्रश्र खड़े नहीं होते।

लाखों में होती है फीस-
खेल गतिविधियों के नाम पर ली जाने वाली फीस प्रतिमाह हायर सेकंडरी में कम से कम दस रुपए और हाईस्कूल में छह रुपए लिए जा सकते है। जिले की यदि बात करे तो यहां २०३ सरकारी और १७५ प्राइवेट स्कूल है। जिनमें करीब तीन लाख बच्चे पढ़ते है और इनसे लगभग दो करोड़ रुपए की फीस हर साल ली जाती है। जिसमें से १५ प्रतिशत राशि संयुक्त संचालक लोक शिक्षण भोपाल और ४० प्रतिशत राशि जिला शिक्षा कार्यालय में जमा करनी होती है और ४५ प्रतिशत का उपयोग संस्था करती है। लेकिन ऐसा होता नहीं है। न तो यह राशि भोपाल भेजी जा रही और न जिला शिक्षा कार्यालय को पहुंच रही है और खेल के नाम पर ली जाने वाली फीस सालों से स्कूल ही खत्म कर देते है। लेकिन उनके बच्चे किसी भी प्रतियोगिताओं में भाग नहीं लेते।

ऐसे होता है राशि का उपयोग-
खेल के नाम पर ली जाने वाली राशि जब जिला और संयुक्त संचालक के खाते में जाती है तो जिले से चयनित होने वाले विद्यार्थियों के नाम पर यह खर्च की जाती है और जब राज्य स्तर पर छात्रों का चयन होता है तो वहां से अगली राशि जारी होती है। लेकिन स्कूलों द्वारा यह राशि जमा नहीं होने के कारण लगातार खेल गतिविधियां कम हो रही है।

लगातार स्कूलों द्वारा खेल के नाम पर फीस ली जाती है। लेकिन यह फीस अंशदान के रूप में जिला या प्रदेश को नहीं भेजी जाती। जिसके कारण खेल गतिविधियां कमजोर पढ़ रही है। शासन ने अब इसकी अनिवार्यता की है और खेल के नाम पर ली जाने वाली राशि यदि जमा नहीं की जाती तो उनकी मान्यता तक रद्द करने के आदेश है।
पीयूष शर्मा, जिला क्रीड़ाधिकारी राजगढ़

Home / Rajgarh / फीस के नाम पर वसूले जा रहे लाखों रूपये, फिर भी बच्चों को नहीं मिल रहा लाभ

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो