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ग्रामीण कौशल मेें ट्रेनिंग के बाद मुंबई में मिली नोैकरी दो दिन में छोड़कर आए ग्रामीण युवा

शुक्रवार को राजगढ़ के महाराणा प्रताप नगर स्थित ट्रेनिग संस्था के बाहर जमकर हंगामा किया।

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राजगढ़। ट्रेनिग संस्था के बाहर हंगामा करते ट्रेनी ग्रामीण युवा।

राजगढ़। दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के तहत राजगढ़ में छह माह तक स्मार्ट वर्क के लिए ट्रेनिंग के बाद पिछले महीने मुंबई में नौकरी के लिए भेजे गए ट्रेनी युवा वहां दो दिन नौकरी करने के बाद परेशान होकर लौट आए। इन्हीं लोगो ने शुक्रवार को राजगढ़ के महाराणा प्रताप नगर स्थित ट्रेनिग संस्था के बाहर जमकर हंगामा किया। लेकिन वहां मौजूद किसी भी कर्मचारी ने उनकी बात तक नहीं सुनी।


इतना ही नहीं अपनी शिकायत लेकर जब सभी ट्रेनी छात्र कलेक्ट्रेट में ज्ञापन देने पहुंचे तो एडीएम ने कलेक्ट्रेट परिसर को ज्ञापन देने की जगह नहीं बताते हुए उन्हें परिसर से बाहर जाने का फरमान सुना दिया ओर सभी को परिसर से बाहर निकाल दिया। इस बीच ट्रेनी युवाओं और एडीएम के बीच काफी देर तर्क विर्तक भी होता रहा। जिसके बाद सभी ट्रेनी युवा कलेक्ट्रेट के मुख्य गेट के पास धरने पर बैठ गए। कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर काफी देर तक धरना देने के बाद तहसीलदार ने उनसे ज्ञापन लिया और जांच का आश्वसन दिया।


15 घंटे काम का मिला अल्टीमेटम
हंगाम कर रहे ट्रेनी छात्रों ने बताया कि डीडीयूजीकेवाय के तहत राजगढ़ में पिछले करीब तीन साल से प्रशिक्षण केद्र चला रही संस्था में आसापास के गांवो के 22 युवाओं ने छह माह तक प्रशिक्षण लिया था। जहां उन्हें प्रशिाण के बाद छह आसपास के शहरो में स्मार्ट वर्क का काम दिलवाने का आश्वसन दिया गया था।


दिसंबर में प्रशिक्षण अवधी पूरी हुई तो प्रशिक्षण संस्था ने उन सभी युवाओं को मुंबई में कार्यरत मैत्री कंपनी में कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर आठ घंटे रोज काम करने के लिए भेज दिया। लेकिन काम के पहले ही दिन कंपनी ने उनसे 11 घंटे आपरेटर के अलावा दूसरा काम करवाया और रोज 15 घंटे काम करने का फरमान सुना डाला। इधर मुंबई में इन लोगो के लिए न रहने के लिए उचित जगह थी न पीने के लिए साफ पानी। इससे घबराकर 22 में से 18 युवा वापस लौट आए।

गैस चूल्हा बेचकर वापस लौटे युवा
हंगामा कर रहे युवाओ ने बताया मुंबई पहुंचने पर वहां पहले मौजूद एक व्यक्ति ने उन्हें खाना बनाने के लिए पांच पांच हजार में गैस सेलेन्डर ओर चूल्हा दिलवाया। जिसे नोकरी छोडऩे के बाद उनसे चार हजार में वापस लिया गया। इसी पैसे से इन ट्रेनी छात्रों ने अपने खाने पीने और वापस लौटने की व्यवस्था की।


हंगामे के दौरान युवाओं ने मुंबई में हुए खर्च को वापस देने ओर उन्हें प्रदेश में नौकरी दिलाने की मांग की वहीं संस्था पर ट्रेनिंग के दौरान घटिया खाना देने सहित अन्य व्यवस्थाएं उचित प्रकार से नहीं करने का आरोप लगाया।

किसी कारण के हटा दिया था
छात्रों के अनुसार केद्र सरकार द्वार एक युवा की ट्रेनिंग ओर प्लेयमेंट के लिए केन्द्र शासन द्वारा संस्था को एक लाख रूपए से अधिक का भुगतान किया जाता है। लेकिन संस्था इसमें से आधा भी व्यय नहीं करती, उल्टे प्लेसमेंट के बाद ट्रेनी युवओं को मिले पे स्लीप के आधार पर कंपनी द्वारा पूरा भुगतान निकाल कर उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया जा ता है। इससे पहले भी इसी माध्यम से इंदौर में नौकरी करने गए कुछ युवाओं को कपंनी ने दो माह तक काम कराने के बाद बिना किसी कारण के हटा दिया था।


संस्था द्वारा 22 ट्रेनी युवाओं का मुबंई में प्लेसमेंट करवाया गया। लेकिन 18 दो दिन में ही लौट आए। अब उनके द्वारा मुंबई में हुए खर्च को वापस देने ओर इंदोर भोपाल में नौकरी दिलाने की मांग की जा रही है। मध्यप्रदेश में नौकरी के लिए संस्था प्रयासरत है लेकिन मुंबई में हुआ खर्च दिया जाना संभव नहीं है।
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