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राजनांदगांव / डोंगरगढ़. पिछले वर्ष 27 अगस्त को नए नगरपालिका भवन के उद्घाटन में पहुंचे नगरीय प्रशासन व विकास विभाग मंत्री शिव कुमार डहरिया ने नगर की खस्ताहाल सड़कों को नई बनाने के लिए 1 करोड़ 82 लाख रूपए की स्वीकृति के साथ नगर के विकास के लिए दो करोड़ रूपए देने की घोषणा की थी। किंतु 10 माह बाद भी सड़क बनना तो दूर अभी तक टेंडर भी नहीं हो पाया है।
नगर की जनता भुगत रही परिणाम
बताया जाता है कि कार्य के पूर्व ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी ये सड़के नेता व अधिकारी तथा ठेकेदार के बीच टेंडर को लेकर विवादों में स्वीकृत राशि को पूर्व सीएमओ ने निरस्त करते हुए अपना बोरिया बिस्तर बांधकर चले गए। जबकि निरस्त करने का पावर परिषद को है किंतु सारे नियम कानून को दरकिनार कर पूर्व सीएमओ ने निरस्तीकरण के लिए लिखकर शासन को जवाब भेज दिया। और चुने हुए जनप्रतिनिधि हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। जिसका खामियाजा आज भी नगर की जनता भुगत रही है।
प्रथम नगर आगमन पर मंत्री ने की थी घोषणा
जबकि मंत्री के प्रथम नगर आगमन पर ही मंत्री शिव डहरिया ने खुले मंच से घोषणा के साथ कार्य में भ्रष्टाचार नहीं होने की सख्त हिदायतें दी थी। किंतु मंत्री के नगर से निकलते ही सत्तापक्ष के ठेकेदार नेताओं ने स्वीकृत राशि से भ्रष्टाचार के तरीके सोचना शुरू कर दिए और इस बीच ठेकेदार व अधिकारी व चुने हुए जनप्रतिनिधियों के बीच भ्रष्टाचार करने को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई जिस पर पूर्व सीएमओ द्वारा शासन को पत्र लिखकर राशि वापस भेज दी गई।
नगर के सभी मार्गो में है बड़े-बड़े गड्ढे
यहां नगर की प्रमुख सड़के गोलबाजार से लेकर जयस्तंभ चौक, नगरपालिका के सामने खंडुपारा, रेल्वे चौक, बुधवारीपारा से गोलबाजार तक की सड़के बनने का प्रस्ताव था जिसमें छोटे बड़े सैकडों गड्ढे आज भी प्रदर्शनी के तौर पर धर्मनगरी की शोभा बढ़ा रहे है जिससे नेता, अधिकारी भी भली भांति परिचित है। इस संबंध में सीएमओ हेमशंकर देशलहरा ने बताया कि पूर्व सीएमओ द्वारा स्वीकृत राशि को शासन को निरस्त के लिए पत्र भेज दिया गया है जबकि यह उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। हमने उक्त राशि को मंगाने की अनुमति के लिए 20-25 दिन पूर्व ही शासन को पत्र लिखा है किंतु अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।
भाजपा शासन में कांग्रेसियों ने लगाया था बेशरम का पौधा
गौरतलब हो कि नगर की इन खस्ताहाल सड़कों पर पहले भाजपा शासनकाल में भी यही स्थिति थी जहां ये ही कांग्रेस के नेता सड़कों पर बेशरम के पौधे एवं धान का थरहा लगाकर विरोध प्रदर्शन करते थे किंतु अब सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा कार्यकर्ता इन्ही सड़कों में बने गड्ढों पर बेशरम के पौधे लगाने की तैयारी में है। यहां सवाल इस बात का है कि भाजपा हो या कांग्रेस इन दोनों पार्टियों के नेतागण एक दूसरे पर दोषारोपण करते रहे और नगर की जनता इसका भुगतान आज भी भुगत रही है। भला नगर की जनता को क्या मालूम कि स्वीकृत राशि में भ्रष्टाचार के इतने छेद होते है। उन्होंने तो बड़े विश्वास से सत्ता परिवर्तन कर अपने लिए नए नेता पर विश्वास जताते हुए नगर की बागडोर दी थी जहां नगर विकास एवं सड़क के लिए मंत्री की प्रथम घोषणा पर ही यह हाल देखने को मिल रहा है। जबकि हल्की बारिश में ही नगर में सड़कों के गड्ढों में कीचड़ के साथ दलदल में तब्दील हो जाती है जिससे इस मार्ग पर वाहन चालक के साथ पैदल राहगीर भी चुने हुए जनप्रतिनिधियों को कोसने व अपशब्दों का प्रयोग करने से नहीं चूकते।
Published on:
15 Jun 2020 06:20 am
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