16 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इंटरलॉकिंग उखड़े, हरियाली का पता नहीं, पवन चक्की भी जाम पड़ा, निगम प्रशासन व कॉलेज प्रबंधन का ध्यान

देखरेख के अभाव में नगर की त्रिवेणी परिसर से गायब हो गई रौनक

2 min read
Google source verification
 Interlocking uprooted, greenery not known, windmill also jammed, attention of corporation administration and college management

देखरेख के अभाव में नगर की त्रिवेणी परिसर से गायब हो गई रौनक

राजनांदगांव. निगम प्रशासन शहर को सफाई की सीख दे रहा और उनके ही गार्डनों का हाल-बेहाल है, वहां गंदगी का माहौल है। शाम होते ही ये मयखाने में तब्दील हो रहा। जाम पर जाम छलकाए जा रहे हैं। ऐसा ही कुछ हाल त्रिवेणी परिसर का है, जहां निगम की अनदेखी के कारण पूरी तरह से रौनक गायब हो गई है। बूढ़ासागर के किनारे गंदगी से उठने वाले सड़ांध की बदबू के कारण परिसर में विद्यार्थी या अन्य बैठ नहीं पा रहे। ज्ञात हो कि इस परिसर में राजनांदगांव के तीन साहित्यकारों की मूर्ति भी लगी हुई है। इन मूर्तियों के आसपास पानी पाऊच व डिस्पोजल के गिलास बयां कर रहे हैं कि यहां क्या चल रहा है। इस तरह निगम प्रशासन उन महान हस्तियों का अपमान कर रहा है। निगम की अनदेखी के कारण यहां चलने के लिए लगाए गए इंटर लॉकिंग पूरी तरह उखड़ चुकी है। घास सूख चुके है। पेड़-पौधों को जानवर चट कर रहे हैं। परिसर में लगाई गई पवनचक्की भी खराब होकर जर्जर स्थिति में है। इस मामले में दिग्विजय कॉलेज के प्राचार्या डॉ. बीनएन मेश्राम ने बताया कि वहां सफाई सहित व्यवस्था सुधारने के लिए पहल की जाएगी।

स्कूल मैदान में निजी स्कूलों का कब्जा
दिग्विजय स्टेडियम मैदान में अब तक काम जारी है, निर्माण अधूरा है। ऐसे में ये मैदान खेल-खिलाडिय़ों को नहीं मिला है। इधर लगातार घटते मैदान के बीच म्यूनिस्पल स्कूल मैदान में निजी स्कूल की बसों का कब्जा है। इससे शहर के खिलाडिय़ों को मैदान नहीं मिल पा रहा है। वहीं स्टेट स्कूल मैदान को निगम द्वारा किराए पर दे दिया जाता है। आए दिन वहां कब्जा रहता है।

शौचालय भी हो चुके जर्जर, ध्यान नहीं
शहर के चौक-चौराहों में रखे रेडीमेट शौचालय भी लगभग पूरी तरह जर्जर हो चुका है। कुछ बचे हैं, तो वहां गंदगी के कारण लोग इसका उपयोग नहीं कर पा रहे है। इधर निगम प्रशासन सफाई को लेकर अपनी पीठ थपथपाते नहीं थक रही।