
हिमाचल मॉडल पर डोंगरगढ़ में ट्रैकिंग (फोटो सोर्स- पत्रिका)
CG Tourism: कभी नक्सलियों का गढ़ रहे डोंगरगढ़ के दक्षिण बोरतलाव के घने जंगल अब पर्यटन का नया केन्द्र बनने जा रहे हैं। जहां एक दशक पहले दर्रेकसा और प्लाटून नंबर-1 के नक्सली दलम का प्रभाव था, वहीं इलाका अब प्रदेश का पहला सुरक्षित जंगल ट्रैकिंग जोन बनने की राह पर है। पुलिस और प्रशासन के लगातार अभियानों ने इस परिक्षेत्र को पूरी तरह सुरक्षित बना दिया है, जिसका परिणाम है कि डोंगरगढ़ के जंगलों में हिमाचल जैसी ट्रैकिंग की तैयारी है। कभी खौफ का दूसरा नाम रहा यह इलाका अब एडवेंचर और नेचर लवर्स के लिए नया ड्रीम डेस्टिनेशन बनने जा रहा है।
वन विभाग ने ढारा डेम से लेकर बोरतलाव वन परिक्षेत्र तक ट्रैकिंग मार्ग विकसित करने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है। स्वीकृति मिलते ही पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य, घने जंगलों और दुर्लभ वन्य प्राणियों को बेहद करीब से देखने का अनुभव ले सकेंगे। यह जंगल सफारी केवल आनंद ही नहीं बल्कि सीख भी देगी।
पर्यटकों के साथ एक्सपर्ट गाइड के रूप में वन विभाग व वन प्रबंधन समिति के कर्मचारी रहेंगे, जो सुरक्षा के साथ पूरे रूट का भ्रमण कराएंगे। बारहसिंगा, हिरण, नीलगाय, तेंदुआ, लकड़बग्घा, वन भैंसा और जंगली सुअर जैसे वन्य प्राणियों का दीदार इस अनुभव को और रोमांचक बना देगा।
ट्रैकिंग के दौरान पर्यटक सागौन, साजा, शीशम और बीजा जैसे इमारती पेड़-पौधों के साथ हल्दी, चिरायता, महुआ और आंवला जैसे औषधीय पौधों की जानकारी भी प्राप्त करेंगे। ढारा डेम, डंगोरा डेम और नीगो बांध जैसे खूबसूरत स्थलों को भी ट्रैकिंग रूट में शामिल किया गया है, जहां पिकनिक स्पॉट भी विकसित किए जा रहे हैं।
डोंगरगढ़ का यह पहला जंगल ट्रैकिंग प्रोजेक्ट पूरी तरह सुरक्षित होगा। प्रस्ताव भेज दिया गया है, मंजूरी मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा। -आयुष जैन, डीएफओ राजनांदगांव
Published on:
08 Dec 2025 09:02 am
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