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छत्तीसगढ़ में कायाकल्प कार्य करने वाले आईटीबीपी कमांडेंट नरेंद्र सिंह का हुआ स्थानांतरण

२७ वर्षो से अधिक बेदाग और प्रतिष्ठित सेवा कैरियर के दौरान मिले दायित्वों को सफलतापूर्वक पूरा किया

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 ITBP commandant Narendra Singh transferred to work for rejuvenation in Chhattisgarh

२७ वर्षो से अधिक बेदाग और प्रतिष्ठित सेवा कैरियर के दौरान मिले दायित्वों को सफलतापूर्वक पूरा किया

राजनांदगांव / छुरिया. 1 नवंबर 2016 में नरेंद्र सिंह, कमांडेंट, 38वीं बटालियन आईटीबीपी का प्रभार संभालने के पश्चात् छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान के साथ-साथ अपने कार्यक्षेत्र में पिछड़े व निर्धन ग्रामीणों तथा छात्र-छात्राओं के कल्याण के लिए अनोखी पहल किया तथा पिछले तीन वर्षों आठ महीने के कार्यकाल के दौरान कमांडेंट नरेन्द्र सिंह ने छत्तीसगढ़ में अनेक जनकल्याणकारी कार्य किए। कमांडेंट नरेंद्र सिंह 26 अप्रैल 1993 को बतौर सहायक सेनानी के रूप में आईटीबीपी बल में शामिल हुए। अपने 27 वर्षों से अधिक बेदाग और प्रतिष्ठित सेवा कैरियर के दौरान उन्होंने सीमा सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा, प्रशिक्षण केंद्र और विशेष रूप से छत्तीसगढ़ में एंटी नक्सल ऑपरेशंस ड्यूटियों में उल्लेखनीय कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया है। वर्तमान स्थानांतरण के दौरान अधिकारी 52वीं वाहिनी अमृतसर (पंजाब) में तैनात होंगे। अधिकारी ने छत्तीसगढ़ में तैनाती के दौरान कई सराहनीय कार्य किए। छत्तीसगढ़ में 5000 ग्रामीण नवयुवक व युवतियों के लिए कैरियर मार्गदर्शन शिविर का आयोजन किए।

सीपेट में 200 से अधिक छात्रों को मिली नौकरी
नरेंद्र सिंह के पिछले तीन वर्षों के कार्यकाल के दौरान ऐसे छात्र-छात्राओं के लिए कैरियर संवारने का मार्ग दिखाया जिनमें ज्यादातर 10वीं अथवा 12वीं अनुत्तीर्ण के बाद आगे की पढ़ाई छोड़ दी थी, ऐसे ग्रामीण छात्र-छात्राओं का कैंप परिसर में सीपेट रायपुर, के माध्यम् से रोजगार के अवसरों के बारे में काउंसलिंग की गई एवं कैरियर को संवारने से संबंधित मार्गदर्शन दिए गए एवं तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया तथा अंबागढ चौकी, बोरतलाब, चिल्हाटी, जोब एवं बागनदी से लगभग 200 छात्र-छात्राओं को विभिन्न शहरों के उच्च प्रतिष्ठानों में रोजगार नियोजन किया।

भूमिहीन परिवारों को दी कुक्कुट पालन की सुविधाएं
कमांडेंट नरेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ सरकार के वैकयार्ड कुक्कुट वितरण योजना के अंतर्गत अतिनिर्धन व भूमिहीन 10 परिवारों को स्वरोजगार के लिए उचित पैमाने का नि:शुल्क बाड़ा एवं रंगीन उन्नत नस्ल के मुर्गे प्रदान किया गया तथा 28 दिन तक मुर्गों के लिए आहार, वैक्सीन तथा दवाईयों का वितरण नि:शुल्क किया गया ताकि वे अपने रोजगार को और उन्नत कर सकें।

होनहार खिलाडिय़ों के लिए विभिन्न खेलों का नि:शुल्क प्रशिक्षण
सेनानी नरेन्द्र सिंह के कमांड में कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले निर्धन परिवारों के होनहार व इच्छुक खिलाडिय़ों के लिए समय-समय पर विभिन्न खेलों जैसे बॉस्केटबॉल, फुटबॉल, वॉलीबॉल, कबड्डी, खो-खो, जुड़ो-कराटे आदि का प्रशिक्षण दिया गया। जनवरी-2018 में फुटबॉल तथा बास्केटबॉल प्रशिक्षण में 16 होनहार खिलाडिय़ों का चयन जिला बॉस्केटबाल डिस्ट्रीक्ट ट्रॉयल में हुआ।

एसएससी परीक्षा की तैयारी करना
630 बच्चों को ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को स्टाफ सिलेक्शन कमीशन कॉन्स्टेबल की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा फिजिकल की तैयारी करवाई गई जिसमें से 135 बच्चे क्वालीफाई किए।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत सराहनीय कार्य
नरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ के सिरपुर में स्थित विश्व की सबसे बड़ी बौद्ध विरासत में "स्वच्छ भारत अभियान" के तहत पुरातात्विक स्थलों तथा महानदी के आस-पास के इलाके की साफ-सफाई बहुत ही बड़े पैमाने पर किया गया तथा स्थानीय निवासियों के प्रति जिज्ञासा डालकर इस पुरातात्विक स्थल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा, साथ ही सिविक एक्शन कार्यक्रम के तहत सिरपुर में कैरियर गाइडेंस एवं परामर्श और नि:शुल्क चिकित्सा शिविर का भी आयोजन किया गया। अधिकारी द्वारा अपने कार्यक्षेत्र में स्थानीय नागरिकों को संविधान में निहित मौलिक अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति लोगों को जागरूक किया।

सर्वोत्तम वाहिनी का खिताब भी जीता
कमांडेंट नरेन्द्र सिंह के छत्तीसगढ़ के कार्यकाल में उनके कुशल नेतृत्व एवं मार्ग-दर्शन में 38वीं बटालियन को सर्वश्रेष्ठ एंटी-नक्सल ऑपरेशन बटालियन 2018 के साथ-साथ सर्वश्रेष्ठ स्वच्छ बटालियन 18-19 घोषित किया गया, जोकि अब तक का यह पहला ऐसा अवसर है जब एक बटालियन ने एक ही वर्ष में दोनों प्रतिष्ठित ट्रॉफियां हासिल किया। इससे पहले भी उनके नेतृत्व में इस बटालियन को 'सर्वश्रेष्ठ नॉन बॉर्डर बटालियन-2016Ó का खिताब भी दिया जा चुका है।