
Patrika Mahila Suraksha: महिलाओं को समाज में बराबरी का दर्जा मिले। कार्यस्थलों पर सम्मान के साथ ही बेफिक्र होकर काम कर सकें। घर हो या फिर बाहर, सभी जगहों पर महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें। इसलिए पत्रिका की ओर से महिला सुरक्षा अभियान की शुरुआत की गई है। पत्रिका के इस रक्षा कवच अभियान से शहरी क्षेत्र ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र की ऐसी महिलाएं भी जुड़ रहीं हैं जो कि दिनभर खेत या फिर मनरेगा में मजदूरी करती हैं।
गांव की ये महिलाएं भी अभियान से प्रभावित हुईं हैं। महिलाओं का कहना है कि प्रताडऩा जैसे मामले गांवों में भी बहुत देखने को मिलते हैं पर महिलाएं लोकलाज के भय व सामाजिक बहिष्कार जैसी सजा को देखते हुए खुलकर बोलने से पीछे हटती हैं। ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि गांव में ज्यादातर लोग खेती, किसानी से जुड़े हुए हैं।
महिलाएं खेती के कार्य में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करती हैं। गांव की ज्यादातर महिलाएं तालाब में नहाने जाती हैं। घूरती हुई नजरों से बचाने व महिला सुरक्षा के लिए राज्य सरकार की ओर से कुछ गांवों में महिला घाट का निर्माण तो किया गया है पर चेंजिंग रूम की सुविधा नहीं दी गई है। घाटों में दीवार बनाए गए हैं पर अब ये महफूज नहीं रहे हैं।
खैरागढ़ ब्लॉक के घोंघेडबरी, सलगापाट में पत्रिका टीम ने महिलाओं से चर्चा की और अभियान के संबंध में जानकारी दी तो महिलाओं ने इसकी सराहना की। कहा कि गांवों में छेड़छाड़, बलात्कार जैसे मामले आते हैं। कई प्रकरण तो गांव स्तर पर ही निराकृत कर दिए जाते हैं। ऐसे में आरोपियों को सख्त सजा नहीं मिल पाती। धनेश्वरी साहू, नीलम यादव, प्रिया यादव का कहना है कि महिलाओं को मजबूत बनना है तो गांव स्तर पर समूह का गठन करें और अन्याय होने पर खुलकर विरोध करें।
इसी तरह रेखा यादव, सूरजा यादव, उर्वशी साहू, नैन बाई साहू, उमा यादव, बिसन यादव, कांति यादव, कुंज यादव ने कहा कि महिला आरक्षण के नाम पर पंच, सरपंच का चुनाव महिलाएं लड़ती जरूर हैं पर चुनाव जीतने के बाद महिला की बजाए परिवार के पुरुष सदस्य पूरे रौब के साथ कार्यों में दखल देते हैं। इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। ऐसे में महिलाएं कैसे सशक्त होंगी।
Updated on:
27 Feb 2025 06:38 pm
Published on:
27 Feb 2025 06:19 pm
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