मामले का खुलासा उस वक्त हुआ, जब टैक्स जमा कर चुके नागरिकों से दोबारा दूसरे राजस्व कर्मी वसूली के लिए पहुंचे। इसके बाद वार्ड में खलबली मच गई। बीते नगरीय निकाय चुनाव के दौरान वार्डों के नए सिरे से परिसीमन होने के बाद मोहड़ और सिंगदई अलग-अलग वार्ड बन गए। एक रसीद बुक में 100 पर्ची होती है। औसतन वार्डों से 4 से 5 हजार रुपए प्रति मकान टैक्स वसूले गए हैं। यानी 5 से 10 लाख रुपए निगम के खाते में जमा नहीं किए गए हैं।
इस संबंध में पार्षद संजय रजक ने कहा कि लंबे समय से कर्मचारी द्वारा टैक्स की राशि में हेराफेरी की जा रही थी। पार्षद का दावा है कि यह मामला 10 लाख रुपए से अधिक का है। उपायुक्त सुदेश सिंह ने कहा कि कर्मी को नोटिस देकर जवाब मांगा गया है। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी। इस मामले में नगर निगम का रूख बेहद ढीला है। इस कथित गबन का खुलासा करीब माहभर पहले हुआ है। अब तक निगम के अफसरों ने कार्रवाई नहीं की है।
गबन के आरोपी कर्मचारी की सेहत भी खराब हो गई है। परिजनों की ओर से अफसरों पर कार्रवाई नहीं करने का दबाव बनाया जा रहा है। उधर पार्षद ने अपने वार्ड में कर्मचारी के रवैये को लेकर घर-घर जानकारी दी है। वार्ड के लोगों से मामले की निष्पक्ष जांच होने तक टैक्स नहीं पटाने पार्षद ने अभियान छेड़ दिया है। निगम कमिश्नर राजनांदगांव
आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा कि पुराना मामला बता रहे हो, इसकी डिटेल लेकर जांच करवाता हूं। मामले में यदि दोषी पाया जाता है, तो संबंधित कर्मचारी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।