
मॉडल स्कूलों की हालत में अब तक नहीं हो पा रहा सुधार
राजनांदगांव / घुमका. शिक्षा में अपेक्षित गुणवत्ता और सुधार की गरज से शासन की ओर से कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है ताकि शिक्षा के लिए बच्चों की बुनियाद मजबूत हो सके और समाज और देश के लिए बेहतर मानव संसाधन विकसित किया जा सके परंतु दशक भर से किए जा रहे इस तरह के प्रयासों के बाद और खासकर विगत 3 वर्षों से शिक्षा गुणवत्ता अभियान के नाम पर करोड़ों रुपए फूंक देने के बाद भी ग्रामीण अंचलों की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर जाने की लगातार शिकायतें मिलती रहती है। एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान के तहत गुणवत्ता आंकलन के प्रयास और प्राप्त परिणामों के विश्लेषण बाद संबंधित स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार के नाम पर कागजी खानापूर्ति भी इस अभियान की सफलता पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। शिक्षा में गुणवत्ता सुधार के लिए इस सत्र में कई तरह के प्रयासों की खबर मिल रही है।
कलेवा स्कूल में दो शिक्षक से चल रहा काम
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार पूर्व माध्यमिक शाला कलेवा में वैसे पदस्थापना के नाम पर 3 शिक्षक पदस्थ हैं। जहां एक शिक्षिका के मातृत्व अवकाश के चलते बच्चों को अध्यापन का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वहीं एक शिक्षक को अस्थाई तौर पर संकुल समन्वयक बना दिया गया है। मात्र एक शिक्षिका के भरोसे लगभग 90 बच्चों के भविष्य को गढऩे की मंशा को लेकर इसी स्कूल को मॉडल स्कूल के रूप में बनाए जाने की योजना किस तरह सफल होगी अंदाजा लगाया जा सकता है। जबकि इसी स्कूल में तमाम संसाधनों का पूर्णतया अभाव है। राज्य शासन की महत्वपूर्ण योजना के तहत जिला शिक्षा अधिकारी ने वैसे तो प्रत्येक स्कूलों में किचन गार्डन अनिवार्य रूप से बनाए जाने का सख्त निर्देश जारी किया है परंतु चयनित मॉडल स्कूल में किचन गार्डन की व्यवस्था नहीं है।
आंकलन परीक्षा में बच्चों को 0 अंक मिले
सूत्र बताते हैं कि न्यूनतम अधिगम स्तर के मापदंडों को उक्त विद्यालय पूरा नहीं कर पा रहा है तब ऐसी स्थिति में शैक्षणिक गुणवत्ता दूर की कौड़ी दिखाई देती है। इसके अलावा राज्य स्तरीय आंकलन में उक्त चयनित मॉडल स्कूल के बच्चों का प्रदर्शन विशेष उल्लेखनीय नहीं होने के साथ ही कुछ बच्चों को 0 अंक तक प्राप्त हुआ है। गौरतलब है कि मात्र एक शिक्षिका के भरोसे इनके बच्चों को आखिर कैसे पढ़ाया जा सकता है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार घुमका क्षेत्र के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक शालाओं में शिक्षा का स्तर काफी चिंताजनक है। परंतु उन कारणों को तलाशने में विभाग के आला अधिकारी भी अब तक पीछे हैं। कथित तौर पर अधिकारी के रूप में कार्य कर रहे संकुल समन्वयक आखिर किस तरह के निरीक्षण प्रतिवेदन इन स्कूलों को लेकर विभाग के उच्चाधिकारियों को प्रेषित करते हैं। कमोबेश गोपालपुर के दोनों स्कूलों की हालत भी कुछ इसी तरह बताई जा रही है।
अधिकारियों ने नहीं दिया ध्यान
राजनांदगांव विकासखंड के प्रत्येक संकुल से एक-एक प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक शाला को मॉडल स्कूल बनाकर अनुकरण के रूप में प्रस्तुत किए जाने की योजना के तहत क्षेत्र के घुमका एवं हरडुआ संकुल के कलेवा एवं गोपालपुर के दोनों स्तर के विद्यालय को मॉडल स्कूल के रूप में चयनित किया गया। इसके लिए बकायदा प्रशासनिक स्तर पर बैठक आयोजित कर मॉडल स्कूल बनाया जाने का निर्देश जारी कर दिया गया है परंतु फिर शिक्षा विभाग के ब्लॉक स्तर के अधिकारियों की चूक के चलते मॉडल स्कूल बनाए जाने की योजना खटाई में पड़ चुकी है। चूंकि जिन स्कूलों को मॉडल स्कूल के रूप में चयनित किया गया है वहां आवश्यक सुविधाओं, संसाधनों एवं विषय शिक्षकों का अभाव बताया जा रहा है। वहीं मॉडल स्कूलों के रूप में विकसित किए जाने की योजना पर अधिकारियों का तर्क है कि चयन करने के बाद उक्त स्कूलों को आवश्यक सुविधाओं से सुसज्जित कर दिया जाएगा। परंतु अभी तक शिक्षा सत्र के 3 महीना गुजर जाने के बाद भी इस तरह की कोई भी व्यवस्था इन स्कूलों में नहीं हो पाई है।
लापरवाही बरतने वालों पर होगी कार्रवाई
डीईओ राजनांदगांव, हेमंत उपाध्याय ने कहा कि मॉडल स्कूलों में शिक्षक की कमी होना गलत है। मैं कारणों का पता कर कार्यवाही करूंगा और किचन गार्डन शासन की योजना से जुड़ी है। इसलिए सभी स्कूलों में अनिवार्य रूप से किचन गार्डन तैयार करना है जहां नहीं बना है फिर निर्देशित किया जाएगा। लापरवाही बरतने वालों पर कार्यवाही होगी।
Published on:
14 Oct 2019 05:05 am
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