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बार्डर पर भीड़ कम होने के बजाए बढ़ रही, शिविर में रूके पर यहां भी दिक्कतें कम नहीं …

मुंबई, पुणे और नागपुर से निकलकर बाघनदी तक पहुंच रहे लोग

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The crowd on the border is increasing rather than decreasing, there is no less problem here in the camp.

बार्डर पर भीड़ कम होने के बजाए बढ़ रही, शिविर में रूके पर यहां भी दिक्कतें कम नहीं ...

राजनांदगांव. रोजी रोटी की तलाश में अपना घर छोड़कर दूसरे शहर और दूसरे राज्य जाने वाले लोगों के सामने अब लॉकडाउन के चलते संकट की स्थिति पैदा हो गई है। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते दुनियाभर में खौफ का माहौल है और ऐसी स्थिति में वापस अपने घर जाने निकले लोग बीच रास्ते में ही फंस गए हैं। महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे, नागपुर सहित अन्य शहरों से निकले लोगों को महाराष्ट्र से तो आगे बढऩे दिया गया है लेकिन वे छत्तीसगढ़ के बार्डर में आकर रोक दिए गए हैं। महाराष्ट्र से धकेल दिए गए लोगों को छत्तीसगढ़ में सहारा दिया गया है लेकिन अस्थाई शिविर में रखे गए लोग कोरोना वायरस से बचाव के प्रोटोकाल से कोसो दूर नजर आ रहे हैं। अस्थाई कैंप में न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है और न ही किसी के पास मास्क है। प्रशासन ने यहां ठहराये गए लोगों के लिए राशन, पानी और अन्य जरूरी चीजों की व्यवस्था जरूर कर दी है लेकिन शिविर में फंसे लोग अभी भी खतरे के बीच रह रहे हैं।

कोरोना वायरस के सामुदायिक संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने पहले 22 मार्च को जनता कफ्र्यू लगाया और इसके बाद 24 मार्च से देशभर मेें लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई। कफ्र्यू और लॉकडाउन के समय से ही देशभर में सार्वजनिक परिवहन बंद कर दिया गया। रेल गाडिय़ों को बंद कर सड़क मार्ग से भी आवाजाही रोक दी गई। देशभर में लॉकडाउन के चलते बाहर राज्यों में कमाने खाने गए लोगों की रोजी रोटी पर संकट खड़ा हो गया और ऐसे लोग विभिन्न साधनों से अपने घर जाने निकल पड़े। लॉकडाउन के चलते ऐसे लोगों को जगह-जगह रोका जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य के महाराष्ट्र की ओर से प्रवेश करने वाले रास्ते राजनांदगांव जिले के बागनदी बार्डर के पास ऐसे ही लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है। पिछले कई चार-पांच दिनों से बड़ी संख्या में लोग बार्डर पर मौजूद हैं और अपने घर जाना चाहते हैं लेकिन लॉकडाउन के चलते उन्हें छोड़ा नहीं जा रहा है।

ज्यादातर झारखंड के

बार्डर पर मौजूद करीब ढाई-तीन सौ लोगों में से ज्यादातर झारखंड के रहने वाले हैं। मुंबई और पुणे जैसे शहरों से स्थानीय पुलिस की अनुमति का पत्र लेकर वे झारखंड जाने निकले हैं। महाराष्ट्र से पुलिस ने उन्हें आगे बढऩे दिया लेकिन अब अंतरराज्यीय सीमा पर वे अटक गए हैं। राज्य सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने बागनदी और सड़क चिरचारी में अस्थायी तौर पर कैंप लगाकर लोगों को वहां रखा है लेकिन नागपुर और अन्य शहरों से पैदल आने वाले लोग ही शिविर में रूके हैं। मुंबई या पुणे से टैक्सी में आने वाले लोग शिविर में न जाकर सीधे अपने गांव के लिए छोड़े जाने की मांग के साथ सड़क पर ही दिन और रात काट रहे हैं।

शिविर में भी संकट में लोग

प्रशासन ने अप्रवासी लोगों की मदद के लिए शिविर लगाकर उनके भोजन और अन्य जरूरी साधनों की व्यवस्था जरूर कर दी है लेकिन यहां भी ये लोग संकट की स्थिति में हैं। इन लोगों के पास न ही मास्क है और न ही ये कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जरूरी प्रोटोकाल का पालन कर रहे हैं। सोशल डिस्टेंस की स्थिति ही नहीं है। लोग कम जगह में एक दूसरे से सटकर रहने मजबूर हैं।

कलक्टर ने लिया बॉर्डर का जायजा

कोरोना वायरस संक्रमण के कारण जिले में लागू लॉकडाउन में फंसे झारखंड, बिहार, मध्यप्रदेश एवं प्रदेश के अन्य जिले के लगभग 700 मजदूरों को राजनांदगांव के बागनदी की बॉर्डर के समीप स्थित सड़क चिरचारी राहत कैम्प में रखा गया है। कलक्टर मौर्य ने राहत कैम्प का निरीक्षण किया और सभी अधिकारियों को उनके रहने एवं भोजन की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए। पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला इस दौरान उपस्थित थे।