20 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मनरेगा में अब तक 274 करोड़ रुपए का मजदूरी भुगतान

आश्रित गांवों में भी चल रहा काम

2 min read
Google source verification
system

मनरेगा में अब तक 274 करोड़ रुपए का मजदूरी भुगतान

राजनांदगांव. मनरेगा में जिले में वर्ष भर की अवधि के दौरान कराये गये 378 करोड़ रुपए के कार्यों में 102.8 करोड़ रुपए सामग्री भुगतान के रूप में एवं 274 करोड़ रुपए मजदूरी भुगतान के रूप में जारी किए जा चुके हैं। जिले को 83 लाख मानव दिवस का लक्ष्य प्रदान किया गया था, मनरेगा में लक्ष्य से आगे बढ़कर कार्य किया गया और 1.31 करोड़ मानव दिवस कार्य प्रदाय किया गया। यह संख्या लक्ष्य का 157 प्रतिशत अधिक है। जिले में इस अवधि में 34246 कार्य किए गए, इस तरह 512 करोड़ रुपए की राशि का कार्य किया गया।

कलक्टर भीम सिंह ने बताया कि इस बार सूखे की स्थिति को देखते हुए सभी सचिवों को हर ग्राम पंचायत में पांच बड़े कार्य चिन्हांकित करने के निर्देश दिए गए थे, इसके साथ ही इन कार्यों के समाप्त होने के बाद वैकल्पिक कार्यों का प्रस्ताव भी तैयार रखने के निर्देश दिए गए थे। जिला पंचायत सीईओ चंदन कुमार ने बताया कि सभी जनपद सीईओ को निर्देशित किया गया था कि मांग अनुसार तत्काल कार्य आरंभ कराए जाएं और जो भी मनरेगा में काम मांग रहा हो, कार्य दिया जाए।

जल संरक्षण पर किया गया फोकस

मनरेगा में जलसंरक्षण पर फोकस किया गया। पिछले दो वर्षों में 7000 से अधिक डबरी खोदी गई, इस तरह छोटे किसानों के लगभग 8000 एकड़ खेतों में सिंचाई की सुविधा बढ़ी। जल संसाधन विभाग द्वारा भी पिछले दो वर्षों में मनरेगा के 207 कार्य कराये गए। इसमें 32 करोड़ रुपए की राशि व्यय की गई।

जॉब कार्ड बनाने की अनुमति

मनरेगा में हर घर से अधिकतम लोगों को रोजगार मिले, इसके लिए कलक्टर भीम सिंह ने घर में विवाह हो जाने के बाद पुत्र के लिए अलग जॉब कार्ड बनाने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे ताकि अधिकतम लोगों को काम मिल सके।

आश्रित गांवों में भी चल रहा काम

कलक्टर भीम सिंह ने जिले के सभी ग्राम पंचायतों के साथ ही इनके आश्रित गांवों में भी मनरेगा काम आरंभ कराने के निर्देश दिए। कलक्टर लोक सुराज के दौरान जिन शिविरों में गए, वहां भी उन्होंने मनरेगा कार्यों की व्यापक समीक्षा की। उन्होंने सभी सीईओ को इस बात के लिए खास तौर पर निर्देशित किया था कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह स्वयं जाकर मानीटरिंग करें कि इन गाँवों में कार्य शुरू हुआ अथवा नहीं और इसकी रिपोर्टिंग जिला पंचायत को प्रदाय करें।